माँ तुम कब जाओगी -एक व्यंग

एक बार एक व्यक्ति अपनी बूढी माँ की डांटकर घर से निकल जाने को कह रहा था तो मैंने उसे कुछ इस तरह समझाया -"भाई तुम्हे कभी सिर में दर्द हुआ है?"वो बोला - "हां सिर दर्द इतना होता है की उस समय कुछ नहीं सूझता और हम और हम कुछ भी करने की स्थति में नहीं होते है |" उसकी बात सुनकर मैंने उससे कहा," तुम्हे पता है की सिरदर्द से भी भयानक घुटने का दर्द है उसमे तो चीख निकल जाती है | इससे भी ज्यादा दर्द दाँत का दर्द होता है ये तो भगवन किसी को भी न दे | " तभी वो आदमी बोला -" है अपने सही कहा हृदय का दर्द तो बहुत ही पीड़ादायक होता है ....बहुत सरे लोग तो इसे झेल नहीं पाते है और उनका राम नाम सत्य हो जाता है "| 

तभी मैंने उसे बताया कि "मेडिकल साइंस के अनुसार सबसे तेज दर्द प्रसव पीड़ा जो कि इतना भयानक होता है कि सामान्य परिस्थितियो में उसे एक स्त्री भी बर्दाश्त नहीं कर सकती | वह तो केवल इसलिए सह जाती है क्यूंकि उसे एक सुकून होता है कि वह माँ बनने वाली है और एक बच्चे कि जन्म देने वाली है |"
फिर मैंने अपने उन मित्र को आगे कहा -" तेरी माँ बे उस भयानक दर्द को सहा है और उसके बाद भी न जाने कितने कष्ट सेज होंगे | इसलिए आज तू जिन्दा है और तू है की उसे अपने घर से निकल रहा है |"

माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती 
उसकी बद्दुआ कभी ताली नहीं जाती 
बर्तन मांज कर भी माँ ३-४ बच्चे पाल लेती है 
लेकिन दुल्हन आने के बाद - 
३-४ बेटों से एक माँ पाली नहीं जाती |

मेरी बात का उस पर असर हुआ |


                 Written by- Gulshan jagga

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