एक बार छोटे शहर में मेला लगा | वह बहुत सरे दुकानदार अपना सामान बेचने के लिए आये हुए थे | उनमे रंग बिरंगे गुब्बारे बेचने वाला भी था | गुब्बारों में गैस भरी हुई थिस इसलिए वो असमान में उड़े का रहे थे | गुब्बारे का एक सिरा दुकान के पास एक खंम्बे में बंधा था | जैसे ही उसके गुब्बारों की बिक्री कम होने लगती वो एक गुब्बारे खोलकल फ़ौरन हवा में छोड़ देता| देखते- देखते गुब्बारा ऊपर उठता चला जाता | गुब्बारे को ऊपर उड़ता देख मेले में आये बच्चे उत्साह में आ जाते |कुछ ही देर में उसके पास गुब्बारे खरीदने के लिए बच्चो की भीड़ लग जाती | एक अश्वेत किशोर काफी देर से ये दृश्य देख रहा था | बड़ी हिम्मत जुटा कर वो गुब्बारे वाले के पास गया और बोला - "सर अगर आप इजाजत दे तो मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूँ |"
गुब्बारे वाले ने दूसरे ही पल उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा - "हा हा क्यों नहीं बेधड़क होकर पूछो न | तुम क्या जानना चाहते हो ?" किशोर ने बड़ी ही मासूमियत से पूछा - "कुछ ख़ास नहीं , बस इतना जानना चाहता हूँ कि क्या काले रंग का गुब्बारे भी आसमान में ऐसे ही उड़ेगा ?" उसका अनोखा सवाल सुनकर गुब्बारे वाला हैरान हो गया | इसकी आंखे नम हो गयी | उसमे बड़े ही प्यार से किशोर को अपने पास पड़ी कुर्सी पर बैठाया और समझते हुए बोला- " देखो बेटा ! गुब्बारे हो चाहे इंसान , उसके ऊपर उठने से उसके रंग का कोई संबंध नहीं होता |ऊपर उठने के लिए तो उसके भीतर भरी चीज़ ही काम आती है | गुब्बारा गैस से उठता है और इंसान अपने हौसले से |"
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