गणतंत्र दिवस का महत्व

26 जनवरी 1950 को रास्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराकर भारतीय संविधान की घोषणा की थी |अंग्रेजो के शासन कल से छुटकारा पाने के 894 दिन बाद हमारा देश स्वतंत्र देश बना | तब से आज तक हर वर्ष समूचे देश में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है |
देश में राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड (Republic Day Parade) आयोजित होती है. यह परेड आठ किमी की होती है और इसकी शुरुआत रायसीना हिल से होती है. उसके बाद राजपथ, इंडिया गेट से होते हुए ये लाल किला पर समाप्‍त होती है. | वैसे आज मोदी जी मुख्य अतिथि सायरिल रामाफोसा (Mr. Cyril Ramaphosa) का स्वागत करने की तैयारी कर रहे है । 

        आपको पता ही होगा की गणतंत्र दिवस क्यों मानते है आज के ही दिन भारत का संविधान लागु किया गया था २६ जनवरी 1950 को सुबह १० बजकर १८ मिनट पर भारत का संविधान लागु किया गया परन्तु अगर हम इसके इतिहास में और पीछे जाए तो हमें कुछ और जानकारी का पता चल सकता है |
        आइये आज इस शुभ अवसर पर मैं आपको कुछ और रोचक जानकारी देती हूँ -


कैसे हुई राष्ट्र झंडा फेरने की शुरुआत

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26 जनवरी को तिरंगा लहराया जाता है ये हम सब को पता है तो क्या १९५० से पहले 26 जनवरी की तिरंगा नहीं लहराया गया क्या? आपको जानकारी हैरानी होगी की दिसंबर 1929 में स्वराज ने तिरंगा लहराने की मांग की तो 26 जनवरी 1930 में   कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में पंडित नेहरू ने रावी नदी के किनारे तिरंगा लहराया था | बहुत ही काम लोगो को इसकी जानकारी होगी|


राष्ट्रगान-

राष्ट्र गान रविंद्रनाथ टैगोर ने लिखा जिसे सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गया गया |इसके बाद तत्व बोधनी पत्रिका में 1912 में राष्ट्र गान "भारत विधाता" नमक शीर्षक से छापा गया |परन्तु इस राष्ट्र गान के रूप में 1950 में अपनाया गया |

राष्ट्रगीत-

राष्ट्र गीत को बंकिम चंद्र चटर्जी जिन्हे बंकिम चंद्र चटोपाध्याय के नाम से भी जाना जाता है 7 नवंबर 1875 में लिखा था |राष्ट्रगीत में ये दो शब्द (वन्दे- मातरम्) बेहद महत्वपूर्ण शब्द है और अपने राष्ट्र के लिये बहुत मायने रखता है। ये दो शब्द बहुत प्रेरणादायक और सर्वाधिक शक्तिशाली है जो भारत के कई स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा वर्णन किया जाता है जब उन्हें अंग्रेजों के द्वारा सजा दिया जाता था।
इस गीत को पहली बार रविन्द्रनाथ टैगोर (राष्ट्रगान के लेखक) ने 1896 में कलकत्ता के काँग्रेस अधिवेशन में गाया गया |दूसरे काँग्रेस अधिवेशन के दौरान पाँच साल के बाद इसे 1901 में धकिना चरन सेन द्वारा पुनः गाया गया |


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