यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के अनुसार भारत अवैध दवा व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक बन गया है ।
जिसमें पुरानी दवाओ कैनबिस से लेकर ट्रामाडोल जैसी नई दवाये, और मेथमफेटामाइन जैसी अवैध ड्रग्स शामिल हैं । एक रिसर्च से ऐसे ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का पता चला है जो कि भारत से दक्षिण अफ्रीका में इन दवाइयों का अवैध रूप से विक्रय करते हैं इनको बेचने के लिए डार्कनेट का इस्तेमाल किया जाता है ।
भारत अवैध दवा व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक बन गया है |
रिपोर्ट के अनुसार
जिसमें पुरानी दवाओ कैनबिस से लेकर ट्रामाडोल जैसी नई दवाये, और मेथमफेटामाइन जैसी अवैध ड्रग्स शामिल हैं । एक रिसर्च से ऐसे ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का पता चला है जो कि भारत से दक्षिण अफ्रीका में इन दवाइयों का अवैध रूप से विक्रय करते हैं इनको बेचने के लिए डार्कनेट का इस्तेमाल किया जाता है ।
इंटरनेट पर ड्रग्स खरीदने की वैश्विक प्रवृत्ति, विशेष रूप से डार्कनेट ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर क्रिप्टोकरेंसी पूरे दक्षिण एशिया में फैल गई है । और यह भारत में विशेष रूप से फैली हुई है भारत इसका गढ बन गया है।
एक अध्ययन से पता चला है कि 50 ऑनलाइन क्रिप्टो-मार्केट प्लैटफ़ॉर्म पर भारत से 1,000 से अधिक ड्रग लिस्टिंग पाए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2017 में भारतीय अधिकारियों ने दो अवैध इंटरनेट फार्मेसियों को नष्ट कर दिया है इसके आलावा उनको गिरफ्तार भी किया। और लगभग 130,000 टैबलेट को जब्त कर लिया हैं जिनमें साइकोट्रॉपिक पदार्थ शामिल हैं।
भारत अवैध रूप से, हेरोइन के लिए एक संक्रमण देश बन गया है। तस्करों द्वारा दक्षिण एशिया के माध्यम से अफीम की तस्करी के लिए भारत का इस्तेमाल किया जाता है । जो पाकिस्तान या इस्लामी गणतंत्र ईरान के माध्यम से खाड़ी देशों के माध्यम से चलता है ।
भारत, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और तुर्की ने मिलकर 2017 में मॉर्फिन से युक्त अफ़ीम के कच्चे माल के वैश्विक उत्पादन का 83 प्रतिशत हिस्सा है
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