सही गलत का पैमाना
दुनियाँ में जितने तरह के लोग है उतनी ही तरह की सोच है हर इंसान का अपना एक नजरिया होता है जो सबसे अलग होता है तो हम कैसे जानेगे की क्या सही है और क्या गलत |
कहने का मतलब ये है हम कैसे तय करेंगे कि सही - गलत का क्या पैमाना है |दो व्यक्तियों में से किसी की एक बात सही लगती है तो दूसरे को वही बात गलत , तो ये कौन तय करेगा की क्या सही है और क्या गलत |
एक चोर को लगता है वो सही कर रहा है इसलिए वो चोरी करके अपना और अपने परिवार का पेट भरता है | एक पुलिस वाला चोरो को पकड़ने का कार्य करता है | वही एक मजदूर मेहनत करके कमाने को सही मानता है | सब सोच का फर्क है |
तो कैसे हम पता लगाएंगे क्या गलत होना चाहिए और क्या सही | मैं तो मानती हूँ कि आपके द्वारा किया गया कार्य जो किसी अन्य व्यक्ति को तकलीफ दे वो गलत है | और आपके द्वारा किया गया कार्य जो ख़ुशी दे वो सही, क्यूंकि हर इंसान अपनी नज़र में सही ही होता है |
कभी कभी ऐसा होता है एक कार्य जो वो खुद कर रहा है वो सही है परन्तु वही काम कोई और कर रहा है तो वो गलत |कहने का मतलब ये है की गलत सही की कोई रेखा है ही नहीं | हम सब मूवी देखते है और कभी कभी मूवी में होने वाली घटनाये हमें परेशान करती है परन्तु जब वही घटनाये हमारे घरो में होती है तो वो सही लगती है वो साधारण सी लगती है या हम उनकी तरफ ध्यान नहीं देते है |
उदहारण लेते है हम सभी पिक्चर में प्यार मोहब्बत देखते है प्यार किया शादी की | अगर लड़के या लड़की के माता पिता उनका विरोध करते है तो हमें उनके माता पिता पर गुस्सा आता है , परन्तु जब वही घटना हमारे घर परिवार या रिश्तेदारों में घटित होती है तो हम उन लोगो में शामिल हो जाते है जो विरोधी होते है इसे क्या बोला जा सकता है आप ही सोचिये और कमेंट पर अपनी राय दीजिये |
2 Comments
Well said mrs sunita pal and appreciated
ReplyDeleteNice great job 👍
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