लीगल नोटिस क्या है इसे कैसे बनाना चाहिये और इसके क्या फायदे होते है

Legal notice format, what is legal notice
लीगल नोटिस क्या है इसे कैसे बनाना चाहिये 


आज का हमारा टॉपिक है लीगल नोटिस के ऊपर  जिसमें कि मैं आपको बताऊंगी कि लीगल नोटिस क्या होता है । और कैसे भेजना चाहिए किसी भी तरह के लेकर नोटिस को भेजने के लिए कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए और लीगल नोटिस को भेजा क्यों जाता है इन सारी बातों को आज हम जानेंगे और यह भी जानेंगे कि अगर आप खुद लीगल नोटिस भेजना चाहते हैं  । तो आपको किस तरह से लीगल नोटिस को भेजना चाहिए । क्या किसी एडवोकेट के थ्रू कोई लीगल नोटिस भेजना जरूरी होता है या फिर आप खुद भी ऐसा कर सकते हैं । यानी कि आप लीगल नोटिस को खुद भी भेज सकते हैं या फिर नहीं भेज सकते स्टार्ट करते हैं ।

लीगल नोटिस क्या होता है

तो सबसे पहले आप यह जान लीजिए कि लीगल नोटिस क्या होता है । जैसे कि हमें नाम से ही पता चल रहा है कि एक नोटिस होता है जिसके जरिये हम किसी को इन्फॉर्म करते हैं या फिर हम किसी को यह बताते हैं कि  सामने वाले पर हमारा कितना बकाया रहता है कोई रिकवरी है तो वह हमें पे कर दे । नहीं तो हम उसके खिलाफ कोर्ट में सिविल मुकदमा दायर कर देंगे । आप एक बार समझ लीजिए कि यह जो लीगल नोटिस होता है वो ऐसे किसी भी केस मे नहीं भेजा जाता है जिन केसो भे भेजा जाता है वो एक तरह के रिकवरी केस होते हैं । 
       मान लीजिए आपको किसी ने चेक दिया वह बाउंस हो गया । किसी तरह की रिकवरी है आपने किसी को पैसे दिए थे आपको रिकवर करने हैं । तो आप एक लीगल नोटिस भेज सकते हैं लीगल नोटिस सेक्शन 18 सीपीसी के हिसाब से काम करता है किसी भी तरह के सिविल रिकवरी के केस को फाइल करने से पहले आपको लीगल नोटिस भेजना बहुत जरूरी होता है । कानून के हिसाब से यह मैंडेटरी होता है ।

क्योंकि जब भी आपको सिविल केस दायर करते हैं तो आपको वहां यानी कि  नोटिस की जरूरत पड़ती है । लेकिन अगर इसके उल्टे हम क्रिमिनल केस की बात करें तो वहां पर हमें किसी भी तरह के लीगल नोटिस को भेजने की जरूरत नहीं होती । क्योकि वहां सीधा उसमें f.i.r. फाइल होती है । जिसके बाद आप केस फाइल करते हैं । सिविल कानून मे बहुत से  केस होते है वहां पर आपको एफ आई आर की जरूरत होती है ।

लीगल नोटिस भेजने के क्या फायदे होते हैं ?

लीगल नोटिस भेजने के बहुत सारे फायदे होते हैं जैसे कि जब आप लीगल नोटिस भेजते हैं । तो आपको बहुत सारा टाइम बचता है । क्योंकि बहुत सारे मैटर ऐसे होते हैं जो कि लीगल नोटिस भेजने के बाद भी शॉट आउट हो जाते हैं । जैसे कि अगर आप आपको किसी से पैसा लेना है तो आप जैसे ही उसको लीगल नोटिस भेजते हैं । तो आप उनको एक टाइम पीरियड दे सकते हैं कि इस टाइम पीरियड के अंदर वो आपका यह पैसा लौटा दे । नहीं तो आप कोर्ट में जाकर उनके खिलाफ मुकदमा दायर कर देंगे । उसके बाद होता यह है कि कोई भी इंसान कोर्ट कचहरी मुकदमों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता । कोशिश यही होती है कि वह आपके पैसे लौटा दे । 

         क्योंकि कोई भी ऐसा इंसान नहीं होता होता जो कि कोर्ट में जाना चाहे सभी यही चाहते हैं कि कोर्ट के बाहर ही मामला सुलझ जाए । क्योंकि कोर्ट में जाना बहुत ही महंगा होता है बहुत एक्सपेंसिव होता है । और इसमें टाइम भी बहुत खर्च होता है और यह भी पॉसिबिलिटी होती है कि जब कोर्ट में यह केस जाए तो उन्हें ब्याज के साथ वह पैसा भी लौटाना पड़ सकता है । तो लीगल नोटिस भेजने का यही सबसे बड़ा फायदा होता है । कि बहुत सारे जो हमारे काम होते हैं वह कोर्ट के बाहर ही हो जाते हैं और आप कोर्ट के बहुत से खर्चो से बच जाते है ।

लीगल नोटिस को ड्राफ्ट कैसे करना चाहिए 

        तो चलिए फटाफट ये जान लेते हैं कि लीगल नोटिस को ड्राफ्ट कैसे करना चाहिए । अगर आप कोई नोटिस किसी एडवोकेट के थ्रू भेज रहे हैं तो यह बहुत अच्छी बात होती है । क्योंकि प्रोफेशनल को अच्छी तरह से पता होता है कि नोटिस को कैसे भेचना है । कैसे बनाना है और मैं मेन मेन कौन से पॉइंट लिखने होते हैं । लेकिन अगर आपको इन सभी बातों की जानकारी है । और आप इसे ड्राफ्ट कर सकते हैं तो वह भी बहुत अच्छा होता है आप खुद भी उसे ड्राफ्ट कर सकते हैं ।

1• जब भी आप लीगल नोटिस को ड्राफ्ट करे ।  तो आप याद रखे कि किसको नोटिस भेज रहे हैं उसको एड्रेस करें ।

2• उसके बाद आप अपना सब्जेक्ट चुने कि आप किस लिए वह लीगल नोटिस भेज रहे हैं साफ-साफ शब्दों में लिखें कि आपको सामने वाली पार्टी से क्या चाहिए ।

3• उसके बाद आप अपने लीगल नोटिस में टाइम को भी मेंशन करें उनको टाइम पीरियड दें कि अगर वह आपका जो पैसा है । या फिर जो भी रिकवरी है पूरा नहीं करते हैं तो आप कितने दिन का टाइम पीरियड उन्हें दे रहे हैं उतने दिन के अंदर अगर वह आपकी रिकवरी को पूरा नहीं करते हैं तो आप कोर्ट में केस को फाइल कर देंगे । 

4• चेक बाउंस का केस है तो चेक किस डेट को रिसीव किया गया था कब बाउंस हुआ था । और जो भी उसकी सारी डिटेल है वह भी नोटिस के अंदर आप मेंशन करें ।

जरूरी बातो का रखे ख्याल:-

लीगल नोटिस को हमेशा शादी कागज पर लिखा जाता है । जब आपका लीगल नोटिस तैयार हो जाए तो आप उसको रजिस्टर AD के थ्रू भेज सकते हैं  । उसके बाद आप उसके रिसीविग को संभाल कर रखें । और अगर सामने वाली पार्टी आपकी रिकवरी को पूरा नहीं करती है । तो आप उस नोटिस के थ्रू कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं । 
               अगर आप नोटिस किसी प्रोफेशनल से बनवाते हैं तो इसकी फीस अगर आप बाहर से कोई लीगल नोटिस बनवाते हैं । या फिर किसी एडवोकेट के थ्रू बनवाते हैं तो इसकी मिनिमम फीस 1000 हजार रुपये से मैक्सिमम कितनी भी हो सकती है । वह आपके ऊपर है कि आपने कितने फेमस एडवोकेट को हायर किया है । 

तो आई थिंक आपको समझ में आ गया होगा कि लीगल नोटिस भेजना बहुत ही आसान होता है । बस आपको मेन मेन मुद्दों को उसमें हाईलाइट करना होता है । अपनी सारी प्रॉब्लम्स को स्टेप बाय स्टेप पॉइंट वाइज लिखना होता है । इसमें किसी एडवोकेट की भी जरूरत नहीं होती है । अगर आप खुद से ड्राफ्ट करते हैं तो आप कर सकते हैं जैससे कि आपके पैसे और टाइम की बचत होती है और कोर्ट का टाइम भी खरा नहीं होता
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2 Comments

  1. श्रीमान जी मेरे एक मित्र ने मार्च महा मे एक लिमिटेड कंपनी TVS से 80 हजार रुपए का लोन लिया था। लॉक डॉन के चलते 3 किस्ते छूटी हुई है । और बाकी किस्ते पहुच रही है । पर समय से नहीं पहुंच रही हैं । ऐसी स्थिति में TVS की ओर से एक लीगल नोटिस आया है । जिसमें 7 दिन के अंदर-अंदर पूरा पैसा भुगतान करने को कहा गया है। प्लस 6 धाराएं हैं 406 , 420 , 468 , 467 , 471 , 504 के अधीन कार्यवाही करने की धमकी भी दी गई है ।क्या ऐसी स्थिति में वह इस लीगल नोटिस का जवाब देना उचित हैं ।

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