एक दिन नारद जी का अपनी तारीफ सुनने का दिल किया तो पहुंच गए नारायण के लोक मतलब छीर सागर | और माता लक्ष्मी से बोले -नारायण नारायण. माते! क्या आप बता सकती है की नारायण जी का सबसे बड़ा भक्त कौन है |
लक्ष्मी जी मुस्कुराकर बोली - "मैं तो आपको आपके भक्तों के बारे में बता सकती हू | परन्तु प्रभु के भक्तों के बारे में मैं आपको क्या बताऊ ये तो प्रभु ही बता सकते है |"
नारद जी ने प्रभु विष्णु जी से बड़ी ही उत्सुकता से पूछा | विष्णु जी ने जब कुछ ऐसा दिया जिसे सुनकर नारद मुनि तो आश्चर्य में पड़े ही साथ की लक्ष्मी जी मुस्कुरा दी | नारायण ने कहा -"हे नारद! पृथ्वी लोक में एक किसान रहता है जिसका नाम नरेश है वो ही मेरा सबसे बड़ा भक्त है |"
लक्ष्मी जी मुस्कुराकर बोली - "मैं तो आपको आपके भक्तों के बारे में बता सकती हू | परन्तु प्रभु के भक्तों के बारे में मैं आपको क्या बताऊ ये तो प्रभु ही बता सकते है |"
नारद जी ने प्रभु विष्णु जी से बड़ी ही उत्सुकता से पूछा | विष्णु जी ने जब कुछ ऐसा दिया जिसे सुनकर नारद मुनि तो आश्चर्य में पड़े ही साथ की लक्ष्मी जी मुस्कुरा दी | नारायण ने कहा -"हे नारद! पृथ्वी लोक में एक किसान रहता है जिसका नाम नरेश है वो ही मेरा सबसे बड़ा भक्त है |"
नारद मुनि बड़े ही दुखी मन से वहाँ से चले गए क्यूंकि उन्हें लगा था की विष्णु जी उन्ही का नाम लेंगे | नारद जी ने सोचा क्यों न किसान के पास जाकर देखा जाये की वो मुझसे बड़ा भक्त कैसे हो सकता है |नारद जी भूमि लोक पहुंचे | वहाँ जाकर नारद जी उस किसान के सारे दिन की दिनचर्या पर ध्यान देने लगे उन्होंने देखा की किसान सुबह उठ कर नहाता है फिर भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने हाँथ जोड़कर
भगवान को धन्यवाद करता है और कहता है हे भगवान हमारा ध्यान आप आज भी रखना | फिर भगवान को भोग लगाकर खाना खाता है और खेतों में काम करने चला जाता है | शाम को घर आकर हाँथ मुँह धोकर भगवान के सामने हाँथ जोड़कर भगवान को धन्यवाद बोलता है फिर खाना खा कर सो जाता है |ये सब देखकर नारद मुनि को बड़ा ही आश्चर्य हुआ की ये साधारण मानव जो भगवान विष्णु को पूरे दिन में सिर्फ दो बार याद करता है मुझसे बड़ा भक्त कैसे हो सकता है मैं तो नारायण का नाम दिन में कई बार लेता हूँ लगता है भगवान को कोई भूल हुई है | अब वो अपने नारायण के पास पहुँचे और अपनी उलझन बताई |उन्होंने कहा -"हे प्रभु आप ही मेरी इस उलझन का समाधान कीजिये क्यों वो साधारण मानव मुझसे बड़ा भक्त है मैं तो आपको दिन में हजारों बार आपका नाम लेता हूँ जब की वो मानव मुश्किल से 2 बार ही |"
नारायण मुस्कुराते हुए बोले मैं आपको ये बाद में बताऊंगा पहले आप मेरा काम एक काम कीजिये | ये मटकी है जिसमे जल भरा है इसे आप अपने सर पर रखिये |
पार्वती जी ने ली राम जी की परीक्षा
नारद जी ने आश्चर्य से भगवान की तरफ देखा फिर धीरे से मटकी को अपने सर पर रख लिया | विष्णु जी आगे बोले जाइये मुनिवर अब आप तीनों लोक के चक्कर लगा कर आइये परन्तु ध्यान रहे एक भी बूँद जल की नीचे नहीं गिरनी चाहिए अगर ऐसा हुआ तो आप भश्म हो जायेगे और हां साथ ही यात्रा पूरी करने से पहले आप इसे अपने सर से नीचे उतार भी नहीं सकते |
भगवान को धन्यवाद करता है और कहता है हे भगवान हमारा ध्यान आप आज भी रखना | फिर भगवान को भोग लगाकर खाना खाता है और खेतों में काम करने चला जाता है | शाम को घर आकर हाँथ मुँह धोकर भगवान के सामने हाँथ जोड़कर भगवान को धन्यवाद बोलता है फिर खाना खा कर सो जाता है |ये सब देखकर नारद मुनि को बड़ा ही आश्चर्य हुआ की ये साधारण मानव जो भगवान विष्णु को पूरे दिन में सिर्फ दो बार याद करता है मुझसे बड़ा भक्त कैसे हो सकता है मैं तो नारायण का नाम दिन में कई बार लेता हूँ लगता है भगवान को कोई भूल हुई है | अब वो अपने नारायण के पास पहुँचे और अपनी उलझन बताई |उन्होंने कहा -"हे प्रभु आप ही मेरी इस उलझन का समाधान कीजिये क्यों वो साधारण मानव मुझसे बड़ा भक्त है मैं तो आपको दिन में हजारों बार आपका नाम लेता हूँ जब की वो मानव मुश्किल से 2 बार ही |"
नारायण मुस्कुराते हुए बोले मैं आपको ये बाद में बताऊंगा पहले आप मेरा काम एक काम कीजिये | ये मटकी है जिसमे जल भरा है इसे आप अपने सर पर रखिये |
पार्वती जी ने ली राम जी की परीक्षा
नारद जी ने आश्चर्य से भगवान की तरफ देखा फिर धीरे से मटकी को अपने सर पर रख लिया | विष्णु जी आगे बोले जाइये मुनिवर अब आप तीनों लोक के चक्कर लगा कर आइये परन्तु ध्यान रहे एक भी बूँद जल की नीचे नहीं गिरनी चाहिए अगर ऐसा हुआ तो आप भश्म हो जायेगे और हां साथ ही यात्रा पूरी करने से पहले आप इसे अपने सर से नीचे उतार भी नहीं सकते |
नारद मुनि इतना सुनते ही डर गए और कांपने लगे और धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाने लगे | नारद मुनि सोचने लगे कि क्या मुसीबत ले ली मैं तो कुछ और सोच रहा था हो कुछ और गया | खैर जैसे तैसे उन्होंने अपनी यात्रा पूरी कि और भगवान विष्णु के पास पहुंचे और धीरे से कलश को अपने ऊपर से उतरा |
नारायण जी ने नारद जी से पूछा की कैसी रही यात्रा? इतना सुनते ही नारद जी भड़क गए - क्या प्रभु आप भी कैसा सवाल पूँछ रहे है मेरा जीवन दाव पर लगा था और आप मुस्कुरा रहे है रास्ते भर मेरा ध्यान कलश पर रहा है की कही गलती से भी अगर जल की बूंद गिर गयी तो मेरा क्या होगा |
तभी भगवान ने आगे पूछा - तो बताइये नारद मुनि अपने मेरा नाम कितनी बार लिया?
ये सुनकर तो नारद मुनि का गुस्सा सातवे आसमान में था बोले - प्रभु आप कैसी बात कर रहे है ऐसी हालत में मैं बस एक ही बात सोच रहा था की कैसे जल की एक बूंद गिराए बिना मैं अपनी यात्रा समाप्त करू आपका नाम तो लेने की सोच ही नहीं पाया |
नारद जी के इस जवाब को सुनकर नारायण जी मुस्कुरा दिए और हस कर जवाब दिया - परन्तु वो किसान तो किसी भी परस्थिति में मुझे 2 बार याद करता ही है आपकि परस्थिति बदली और आप मुझे भूल ही गए |
अब नारद मुनि को पूरी बात समझ गए और महसूस किया कि नारायण ने उन्हें उनके सवाल का जवाब में ल गया है |
नारायण जी ने नारद जी से पूछा की कैसी रही यात्रा? इतना सुनते ही नारद जी भड़क गए - क्या प्रभु आप भी कैसा सवाल पूँछ रहे है मेरा जीवन दाव पर लगा था और आप मुस्कुरा रहे है रास्ते भर मेरा ध्यान कलश पर रहा है की कही गलती से भी अगर जल की बूंद गिर गयी तो मेरा क्या होगा |
तभी भगवान ने आगे पूछा - तो बताइये नारद मुनि अपने मेरा नाम कितनी बार लिया?
ये सुनकर तो नारद मुनि का गुस्सा सातवे आसमान में था बोले - प्रभु आप कैसी बात कर रहे है ऐसी हालत में मैं बस एक ही बात सोच रहा था की कैसे जल की एक बूंद गिराए बिना मैं अपनी यात्रा समाप्त करू आपका नाम तो लेने की सोच ही नहीं पाया |
नारद जी के इस जवाब को सुनकर नारायण जी मुस्कुरा दिए और हस कर जवाब दिया - परन्तु वो किसान तो किसी भी परस्थिति में मुझे 2 बार याद करता ही है आपकि परस्थिति बदली और आप मुझे भूल ही गए |
अब नारद मुनि को पूरी बात समझ गए और महसूस किया कि नारायण ने उन्हें उनके सवाल का जवाब में ल गया है |
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