साँझ सवेरे एक ही चाहत
बंधू मेरे! एक ही चाहत |
बंजर धरती पर कोई बादल,
शीतल निर्मल जल बरसाये
मुरझाये पेड़ों,पत्तों की,
प्यास बुझाये आस जगाये |
जल थल कर दे इतना बरसे,
हरियाली को दे दे दावत |
साँझ सवेरे एक ही चाहत
बंधू मेरे! एक ही चाहत |
पर्वत पर्वत पर कोई सूरज,
खिल खिल हंसती धूप खिलाए |
कहीं कोई कपकपाती, सर्दी से,
ठिठुर न जये, मर ना जाये,
गद्दी, गुज्जर रहे चैन से,
चीड़ों को वन बख्शे राहत |
साँझ सवेरे एक ही चाहत
बंधू मेरे! एक ही चाहत |
दौलत की देवी धरती पर,
आकर नाम ना ले जाने का,
कोई भी मानव डुग्गर का,
रात को सो ना जाये भूखा,
दूर दूर तक कहीं मिले न,
दुःख के साये दर्द की आहट|
साँझ सवेरे एक ही चाहत
बंधू मेरे! एक ही चाहत |
बंजर धरती पर कोई बादल,
शीतल निर्मल जल बरसाये
मुरझाये पेड़ों,पत्तों की,
प्यास बुझाये आस जगाये |
जल थल कर दे इतना बरसे,
हरियाली को दे दे दावत |
बंधू मेरे! एक ही चाहत |
बंजर धरती पर कोई बादल,
शीतल निर्मल जल बरसाये
मुरझाये पेड़ों,पत्तों की,
प्यास बुझाये आस जगाये |
जल थल कर दे इतना बरसे,
हरियाली को दे दे दावत |
साँझ सवेरे एक ही चाहत
बंधू मेरे! एक ही चाहत |
पर्वत पर्वत पर कोई सूरज,
खिल खिल हंसती धूप खिलाए |
कहीं कोई कपकपाती, सर्दी से,
ठिठुर न जये, मर ना जाये,
गद्दी, गुज्जर रहे चैन से,
चीड़ों को वन बख्शे राहत |
साँझ सवेरे एक ही चाहत - Hindi Poem |
साँझ सवेरे एक ही चाहत
बंधू मेरे! एक ही चाहत |
दौलत की देवी धरती पर,
आकर नाम ना ले जाने का,
कोई भी मानव डुग्गर का,
रात को सो ना जाये भूखा,
दूर दूर तक कहीं मिले न,
दुःख के साये दर्द की आहट|
साँझ सवेरे एक ही चाहत
बंधू मेरे! एक ही चाहत |
बंजर धरती पर कोई बादल,
शीतल निर्मल जल बरसाये
मुरझाये पेड़ों,पत्तों की,
प्यास बुझाये आस जगाये |
जल थल कर दे इतना बरसे,
हरियाली को दे दे दावत |
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