चेक बाउंस होने पर क्या अदालती कार्रवाई की जा सकती है और इसके लिए क्या कानून बनाए गए हैं ।
चेक बाउंस होने पर क्या अदालती कार्रवाई की जा सकती है
|
चाहे आप कोई बिजनेस करते है या फिर कहीं नौकरी । ज्यादातर जो देनदारी होती है या फिर आपकी जो सैलरी मिलती है । वह चेक के द्वारा ही मिलती है । आपकी सर्विस के बदले कोई व्यक्ति संस्था या फिर कोई ऑर्गेनाइजेशन आपके माल की बिक्री करके, उसके बदले में आपको चेक दे देती है । जिससे आप को इस बात का विश्वास हो जाता है कि आपने जो सर्विस उन्हें दी है या फिर आपने जो उन्हें माल बेचा है उसकी एवज में जो पैसा है बैंक में सुरक्षित है । जिसे आप एक निश्चित अवधि के बाद इस चेक के द्वारा निकाल कर अपने व्यापार को या फिर अपने घर को चला सकते हैं ।
कब होता है चेक बाउंस
लेकिन उस समय आप बहुत चिंता वाली स्थिति में हो जाते हैं जब आप पार्टी के दिए गए चेक को अपने बैंक में लगाते हैं । और बैंक द्वारा इस बात की सूचना आपको मिलती है, कि लगाए जाने वाले चेक के जारी करता के खाते में उतनी रकम नहीं है जितने का चैक लगाया गया है । या फिर हो सकता है कि चेक जारी करने वाले ने हस्ताक्षर ही इस तरह से किया है जो कि गलत है । या फिर चेक में कोई और टेक्निकली गलती हो गई है जिसके कारण वह चेक बाउंस हो गया है । चेक जारी किए जाने की तारीख पर जब आप उसे अपने बैंक खाते में जमा राशि को चाहते हैं । और धन जमा नहीं होता है तो ऐसी कंडीशन को ही चेक बाउंस कहा जाता है ।
चेक बाउंस होने पर क्या करना चाहिए
चेक बाउंस होने की कंडीशन में कानून आपकी पूरी मदद करता है । उसके लिए कानूनी उपाय है कि आप नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1981 के धारा 138 से 141 तक में राहत का मामला दर्ज करवा सकते हैं । परंतु ऐसी कंडीशन में आपको मामला दर्ज करवाने से पहले कुछ औपचारिक कदम उठाने की आवश्यकता होती है ।
- सबसे पहले आप चेक की फोटोकॉपी कराएं ताकि जरूरत पड़ने पर आप पार्टी के पास उस बैंक के टिप्पणी का प्रमाण दिखाने के लिए भेज सकते हैं । चेक जारी करने वाले को फोन द्वारा अपना आदमी भेज कर या फिर खुद जाकर मालूम करने की कोशिश करें कि किस कारण से चेक बाउंस हुआ है । अधिक संभावना यही होती है कि चेक जारी करने वाला खेद प्रकट करते हुए आपको दूसरा चेक जारी कर देता है । या फिर बाउंस हुआ चेक आप से लेकर नगदी का भुगतान कर देता है ।
- यदि दूसरी बार भी चेक बाउंस हो जाता है तो और पार्टी आप द्वारा लिखित या मौखिक सूचना पाने के बाद भी भुगतान नहीं करती है । तो आप कानूनी कदम उठा सकते हैं ।
नोट :- चेक बाउंस होने की मुख्य वजह भुगतान योग्य राशि चेक जारी करने वाले के खाते में ना होना होता है । दूसरे कारण होने पर वापसी बातचीत से बात सुलझ जाती है । आप पर्याप्त राशि होने पर चेक बाउंस होना इस बात का संकेत होता है, कि चेक जारी करने वाला आपके धन को देना नहीं चाहता । उसके मन में बेईमानी आ गई है । बाउस चेक इस बात का प्रमाण होता है कि आप चेक की रकम लेने के हकदार हैं । और चेक जारी करता रकम देने के लिए बाध्य होता है ।
Read This Also:-
- लव मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
- सुप्रीम कोर्ट ने श्रीसंत पर लगे आजीवन प्रतिबंध को खत्म किया
- सुप्रीम कोर्ट ने 6 आरोपियों की मौत की सजा से बरी कर दिया
- तलाक लेने की समय सीमा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- भारत में शादी करने वाली पाकिस्तानी महिला को भारत छोड़ने का आदेश दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
- मौत की सजा तभी जब दूसरी सजा कम पडे सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- Supreme Court Latest Judgement Dated 1st January to 17th January 2019
कानूनी कार्यवाही करने के लिए आप निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें ।
- चेक बाउंस होने की तारीख के 30 दिनों के अंदर चेक जारी करने वाले पक्ष को भुगतान का नोटिस जारी करते हुए 15 दिनों के अंदर भुगतान करने के लिए कहे ।
- नोटिस में इस बात का उल्लेख करें कि 15 दिनों के अंदर भुगतान नहीं मिलने पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के धारा 138 के तहत आप उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे । जिसकी समस्त खर्चे के जिम्मेदार वह होंगे ।
- नोटिस किसी वकील द्वारा जारी करवाएं । वकील उचित कानूनी भाषा में नोटिस लिख सकता है । और आगे जरूरत पड़ने पर उनके द्वारा अदालती कार्यवाही भी करा सकता है ।वकील द्वारा नोटिस भेजा जाना प्रभाव डालने वाला भी होता है इसलिए सलाह दी जाती है कि जब भी आप किसी को नोटिस भेजे तो एक कानूनी कार्रवाई करने के लिए वकील के द्वारा ही भेजें ।
- नोटिस भेजे जाने के 15 दिन गुजर जाने के बाद यदि चेक जारी करने वाला भुगतान नहीं करता । तो जिस क्षेत्र में आपका चेक बाउंस हुआ है अर्थात यानी कि वह बैंक जहां पर आपका चेक बाउंस हुआ था । वहां के थाने के उस जिले के क्षेत्र या जिले के मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं । यह शिकायत बाउस चेक पर हस्ताक्षर करने वाले के संबंधित होगी ।
- बाउस चेक जारी करने वाला व्यक्ति कानूनी रूप से भुगतान करने के लिए बाध्य होता है । अतः मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत दर्ज करने के बाद रकम डिलीवरी के लिए दीवानी मुकदमा दायर हो जाता है ।
- यदि ऐसा लगे कि दूसरा पक्ष आपकी रकम हजम करना चाहता है उसने धोखा देने के इरादे से आपको चेक दिया है ।और बैंक द्वारा रकम की प्राप्ति नहीं हो सकती तो पुलिस में धोखाधड़ी की एफ आई आर भी दर्ज करा कर आप मुकदमा दायर करवा सकते हैं । यह मुकदमा पुलिस द्वारा चलाया जाएगा ।
चेक बाउंस का केस करते समय आपको किन-किन डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ती है
चेक बाउंस का केस करते समय आपको जिन जिन डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी, उनमें से सबसे पहले है कि:-
- आपने अपॉजिट पार्टी को जो लीगल नोटिस भेजा है उसकी एक कॉपी
- जब आप नोटिस भेजते हैं तो आप उसे रजिस्टर पोस्ट से भेजे रजिस्टर पोस्ट के रिसिप्ट की कॉपी
- बैंक द्वारा भेजा गया बाउंस हुआ चेक
- बैंक द्वारा भेजा गया मेमू इसमें यह मेंशन होता है कि आपका चेक चेक बाउंस हुआ था ।
- आप का आईडी प्रूफ ।
चेक बाउंस का नोटिस भेजने के लिए वकील की फीस कितनी हो सकती है
चेक बाउंस के नोटिस भेजने के लिए किसी वकील की फीस आपके ऊपर डिपेंड करती है कि आपने कितना बड़ा वकील हायर किया है । वैसे नॉर्मल ही अगर देखा जाए तो एक चेक बाउंस के केस के लिए नोटिस भेजना है तो वकील की फीस ₹500 से लेकर ₹5000 तक हो सकती है ।
0 Comments