किससे क्या सीखे ?- शुरुआत नई वाणी वही
चिड़ियों से सीखो मेहनत से अपना नीड़ बनाना |
और चींटियों से मिल - जुलकर भारी बोझ उठाना ||
बन्दर से व्यायाम , गुलहरी से ऊँचे चढ़ जाना |
ऊंटों से तपते मरुस्थल के कष्ट सहज सह जाना ||
दूर दृष्टि के कारण , नभ चीलों का चढ़ते जाना |
तीव्र स्मरण स कबूतरों का मीलों बढ़ते जाना ||
कोयल से मीठी बोली और तोते से तुतलाना |
नृत्य मोर से सीखो और बुलबुल से सुन्दर गाना ||
उल्लू से अंधियारे में भी अपनी राह बनाना |
मुर्गे से प्रभात काल में जगना और जगाना ||
लक्ष्य प्राप्ति के लिए बगल का , घण्टों ध्यान लगाना|
सतत साधन कच्छप गति से ,अपनी मंजिल पाना||
हाथी से कमजोरों पर , हरगिज न हाँथ उठाना |
पर कुत्तो से सीखो , दुष्टों से निश्चय ही टकराना ||
शेर से शक्ति,चीते से फुर्ती और गीदड़ से चालाकी |
जीवन में रह जाये न कुछ भी और सीखता बाक़ी ||
Written by gushan jagga
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