संघीय संविधान की विशेषताएं बताइए | क्या आप इस बात से सहमत हैं कि भारतीय संविधान संघात्मक है

संघीय संविधान की विशेषताएं बताइए- जैसा की विदित है, कि संविधान किसी भी राष्ट्र की दिनचर्या को नियमित करने के लिए बनाए गए नियम है। राष्ट्र से तात्पर्य उसके उन सभी तत्वों से है, जो किसी राष्ट्र अथवा राज्य के लिए आवश्यक माने जाते हैं। संविधान राष्ट्र की आवश्यकताओं के अनुसार कठोर, लचीला, लिखित  संघात्मक और एकात्मक हो सकता है। संविधान को संविधान निर्माताओं ने दो वर्गों में विभाजित किया है - संघात्मक एवं एकात्मक।  जिस संविधान में संपूर्ण शक्ति केंद्रीय सत्ता में निहित होती है, वह एकात्मक संविधान होता है, तथा जहां शक्ति केंद्र एवं राज्यों में विभाजित रहती है, उसे संघात्मक  संविधान कहते हैं।

संघीय संविधान की विशेषताएं बताइए | क्या आप इस बात से सहमत हैं कि भारतीय संविधान संघात्मक है
संघीय संविधान की विशेषताएं बताइए | क्या आप इस बात से सहमत हैं कि भारतीय संविधान संघात्मक है


    प्रो० ह्वियेर  के अनुसार- संघ के सिद्धांत में संघ और इकाइयों में शक्तियों का विभाजन रहता है, केंद्रीय सरकार तथा क्षेत्रीय सरकारें द्वार दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र होते हैं, इस सिद्धांत को संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1787 में अपने यहां अपनाया था, इसी सिद्धांत के अंश भारतीय संविधान में भी लागू होते हैं। तब केंद्र व राज्यों में शक्ति का स्पष्ट विभाजन दिखाई देता है। 

संघीय संविधान के आवश्यक तत्व


एक संघीय संविधान में निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं -

1- लिखित संविधान
3- संविधान कि अपरिवर्तनशीलता
4- स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका 
5- संविधान की सर्वोच्चता। 

1-  लिखित संविधान



संघीय संविधान का लिखित होना भी अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि लिखित संविधान में राज्य के विभिन्न अंगों का नियमन होता है। और उनके मध्य सामंजस्य स्थापित करने हेतु विध्यात्मक नियमों का समावेश रहता है। क्योंकि संघ राज्य की स्थापना एक जटिल व्यवस्था द्वारा होती है। जिसमें संघ में शामिल होने वाली हानियां होती हैं। इसीलिए इसका लिखित रूप में होना आवश्यक है। अन्यथा संविधान के सर्वोपरिता का अक्षुण्ण बनाए रखना असंभव होगा। संविधान के लिखित होने के केंद्रीय एवं प्रांतीय सरकारों का अपने अपने अधिकारों के बारे में स्पष्ट ज्ञान रहता है। और वे एक दूसरे पर विश्वास रखकर कार्य करते हैं, अतः संघीय संविधान के लिए लिखित होना अत्यंत आवश्यक है, इंग्लैंड का संविधान चूँकि लिखित रूप में नहीं है, अतः उसे संघीय संविधान ही नहीं कहा जा सकता।

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2- शक्तियों का विभाजन 


शक्तियों का विभाजन संघ विभाजन का अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है। शक्तियों के विभाजन से तात्पर्य केंद्र एवं राज्य के मध्य शक्तियों का विभाजन होता है, यह विभाजन संविधान द्वारा ही किया जाता है। संघ और उसके उसकी इकाइयों के बीच शक्तियों का यह विभाजन ही वह आधार है, जिस पर संघीय संविधान की वास्तविकता टिकी हुई है। जैसा कि ओक और जिंक का विचार है कि सरकार की संख्या योजना कहां प्रचलित होती है, जहां राजनीतिक प्रभु ने शक्तियों को एक ओर तो राष्ट्रीय सरकार तथा दूसरी ओर राज्य का क्षेत्रीय सरकारों के बीच विभाजित कर दिया है, और उसने ऐसा संवैधानिक उपबन्धो के अनुसार किया है, जिन्हें बदलने का अधिकार ना तो राष्ट्रीय सरकार को है, और ना किसी अधीनस्थ सरकार को।  यह विभाजन किसी ऐसे मान्य प्राधिकारी द्वारा किया जाता है, तथा कायम रखा जाता है, जो केंद्रीय और क्षेत्रीय दोनों सरकारों से वरिष्ठ होता है,।

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3- संविधान की अपरिवर्तनशीलता 


संविधान चूँकि राष्ट्र का सर्वोच्च कानून होता है, आतः उसका स्थाई होना आवश्यक है, किसी भी संविधान की कठोरता या सहजता उसकी संशोधन प्रक्रिया पर आधारित होती है, जिस संविधान की प्रक्रिया कठिन होती है, उसे कठोर संविधान कहा जाता है, और जिस में संशोधन सरलता से किए जा सकते हैं, उसे नरम या लचीला संविधान कहा जाता है। किसी भी राज्य का संविधान एक स्थाई दस्तावेज होता है। यह देश की सर्वोच्च विधि कहां जाता है। संविधान की सर्वोपरिता को बनाए रखने के लिए संशोधन प्रक्रिया कठिन होना आवश्यक है। संविधान के अपवर्तन शीलता परिवर्तन शीलता का अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि संविधान में परिवर्तन हो  नहीं सकता, वरन् इसका तात्पर्य है कि संविधान में परिवर्तन सामूहिक होता है, सामयिक अर्थात् वर्तमान परिस्थिति के अनुसार संशोधन। 


4-   स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका 


किसी भी संघीय संविधान के लिए क्या आवश्यक है, कि उसके अंतर्गत स्वतंत्र न्यायपालिका कार्य करती हो, यदि केंद्र और राज्य संविधान द्वारा निश्चित सीमा का उल्लंघन करते हैं, तो देश की न्यायपालिका को यह अधिकार है, कि वह उनके कार्यों को अवैध घोषित कर दे ।न्यायपालिका का प्रमुख कार्य संविधान की व्याख्या करना है, इसके साथ ही यदि केंद्र और राज्य के बीच सीमा संबंधी विवाद उत्पन्न होते तो है, तो उन विवादों को निपटाना संघीय संविधान वास्तव में न्यायपालिका संविधान की रक्षक होती है। 

5-  संविधान की सर्वोच्चता


प्रो०  ह्वियेर  के अनुसार संघीय राज्य के लिए संविधान की सर्वोच्चता अति आवश्यक है, और उसके सुचारू रूप से कार्य करने के लिए यह आवश्यक है, कि संविधान लिखित हो संघीय सरकार संविधान से अपने सत्ता प्राप्त करती है। एक संघीय राज्य के अधीन संविधान राष्ट्र के सर्वोच्च कानून का स्थान धारण कर लेती है।  ऐसा कोई भी कानून जो संविधान से असंगत है।  न्यायालय उसे अवैध अथवा असंवैधानिक घोषित कर देगा। अतः हम कह सकते हैं, कि संविधान की सर्वोच्चता संघीय संविधान के लिए अति आवश्यक है। 

     जहां तक भारतीय संविधान का प्रश्न है, डॉक्टर डी.एन.बनर्जी के अनुसार भारत के संविधान का स्वरूप संघात्मक है, परंतु इसमें एकात्मक की स्पष्ट झलक है । भारतीय संविधान यहाँ  तो संघात्मक है, तो दूसरी और एकात्मक है। भारत के संविधान के संघात्मक और एकात्मक तत्व विद्यमान है। यह दोहरी  सरकार पद्धति की रचना करता है। एक स्तर पर केंद्रीय सरकार तथा दूसरे स्तर पर राज्य पद्धत की सरकारें हैं। केंद्र तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन है, भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है। तथा देश के सर्वोच्च विधि है, संविधान के उपबंध जो संघीय व्यवस्था से संबंध रखते हैं। राज्यों के बहुमत की सहमति के बिना उनमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।  संविधान की सर्वोपरि का संविधान की व्याख्या और उसके संरक्षण के लिए एक स्वतंत्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की गई है। 

प्रो० ह्वियेर के अनुसार- भारतीय संविधान एक अर्धसंघीय संविधान अथवा एक एकात्मक राज्य जिसमें संघात्मक तत्व सहायक रूप में है, ना कि एक संघात्मक राज्य जिसे एकात्मक तत्व सहायक कहे जा सकते हैं, इसका आधार यह है, कि भारतीय संविधान के अंतर्गत आपातकाल के केंद्र संपूर्ण देश की एक इकाई मानकर शासन करता है ।आपातकालीन स्थिति में कुछ उपबंध बनाए जाते हैं, परंतु इसका तात्पर्य नहीं है कि उपबंध भारतीय संविधान के संघात्मक लोक को समाप्त कर देते हैं, यह तो संविधान का एक विशेष गुण है, की संकटकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए उपबंध बना दिए गए, जिससे हमारे संविधान का रूप नष्ट ना हो। 

 जेनिंग्स ने इस संविधान को  `  A federation with strong centralising tendency '    अर्थात एक ऐसा संघ जिसमे केंद्रीयकरण सबल हो सकता है।।।।।।।

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