आर्यो के मूल निवास स्थान के विषय में कौन-सा मत आपको सर्वाधिक उचित लगता है

आर्यो के  मूल निवास स्थान के विषय में कौन-सा मत आपको सर्वाधिक उचित लगता है


आर्यो के  मूल निवास स्थान



भारतीय इतिहास में 'आयों का मूल निवास स्थान' के बारे पर्याप्त मतभेद हैं। इस बारे में विद्वानों और इतिहासकारों ने चार प्रमुख स्थानों के बारे में अपना-अपना मत प्रस्तुत किया है। ये चार निम्नवत हैं-

1. यूरोप को आदि देश मानना-भाषा-


विज्ञान को आधार बनाकर कुछ विद्वानों ने यूरोप को आयों का आदि देश माना है। इन लोगों ने संस्कृत, ईरानी और यूरोपीय भाषाओं के तुलनात्मक अध्ययन से यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि आरयों का आदि देश यूरोप है। एक निश्चित यूरोपीय देश के बारे में भी कई मत मिलते हैं। हंगरी, जर्मनी, पश्चिमी बाल्टिक समुद्र तट और रूस के बारे में अलग-अलग विचार प्रकट किये गये हैं। इन सभी देशों को आयों का आदि देश मानने के पीछे पूरी तरह भाषा-विज्ञान का आधार विद्वानों ने ग्रहण किया है। इस मत के आलोचकों का तर्क है कि यह आधार पूरी तरह भ्रामक है। भाषा, रहन-सहन या शरीर-रचना के आधार पर किसी प्रजाति या नस्ल के आदि देश का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।


2. आयों का आदि देश एशिया-


कुछ विदानों और इतिहासकारों ने आयों का आदि देश एशिया को माना है। इसके लिए वे वेदों को आधार बनाते हैं। उनके अनुसार आयों ने जिस भौगोलिक अवस्था, प्राकृतिक वातावरण, वनस्पतियों और पशु-पक्षियों का वर्णन इन ग्रंथों में किया हैं उनका अस्तित्व एशिया में ही पाया जाता है। वे माइनर और बोगाजकोई नामक स्थानों से मिलने वाले प्राचीनतम लेखों और जेंद अवेस्ता और ऋग्वेद को भी अपने तरकों के आधार के रूप में रखते हैं। इस मत के विद्वानों ने बैक्ट्रिया, मध्य एशिया, पामीर, रूसी, तुर्किस्तान, खि्गिज के मैदान आदि स्थानों को आरयों का आदि देश मानने का प्रस्ताव किया है। इस मत के आलोचकों का तर्क है कि आयों की जीवन-शैली से बताये गये स्थानों का मेल नहीं बनता है। भारतीय ग्रंथों में भी कहीं भी मध्य एशिया का कोई संकेत नहीं मिलता है। 


3. आर्यों का आदि देश उत्तरी ध्रूव प्रदेश-


इस मत के सबसे बड़े समर्थक बाल गंगाधर तिलक हैं। उनका मानना है कि. आयों का आदि देश उत्तरी ध्रुव प्रदेश ही है। वह मानते हैं कि हिम-प्रलय के कारण आर्य अपने आदि देश उत्तरी ्रुव प्रदेश को छोड़कर ईरान भारत और अन्य देशों में आकर बसे। वेद और अवेस्ता में दीर्घकालीन उषा, षटमासी दिन और रात, शीत की अधिकता के साथ। वर्णन और प्राकृतिक दृश्यों के आधार पर तिलक इस मत को प्रस्तुत करते हैं । इस मत के आलोचकों का तर्क है कि वेदों आदि में आदि देश उत्तरी ध्रुव प्रदेश में स्पष्ट वर्णन का सर्वथा अभाव है।


4. आर्यों का आदि देश भारत-


कुछ विद्वानों और इतिहासकारों ने भारत को ही आर्यों का आदि देश माना है। इनका मानना है कि आरयों ने वैदिक साहित्य में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया है कि आर्य भारत में बाहर से आये थे। वेदों में मिलने वाला वर्णन सप्त-विज्ञान के आधार पर भी अपने मत की पुष्टि करते हैं। इन विद्वानों और इतिहासकारों का मानना है कि आर्य भारत से ही मध्य एशिया, ईरान, सीरिया तथा यूरोपीय देशों की ओर गये थे इन विद्वानों और इतिहासकारों के बीच भी भारत में आयों के मूल स्थान के बारे में एक राय नहीं है। ब्रह्मर्षि प्रदेश, सप्त-सिन्धु, कश्मीर, मध्य-देश आदि के बारे में अपने-अपने विचार हैं। आयों के आदि देश बारे में विद्वानों और इतिहासकारों कं विभिन्न मत और सिद्धान्त हैं किन्तु अधिकांश विद्वानों ने माना है कि आर्य बाहर से भारत में आये थे। आरयों के आदि देश की भाँति उनके भारत आगमन के समय के बारे में भी विद्वानों और इतिहासकारों के बीच एकमतता नहीं है। यह विषय भारतीय इतिहास के प्रमुख विवादों में से एक है। -सिन्धु से अधिकांशत: मेल खाता है। 

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