मौर्य वंश का उदय-Rise of the Maurya vansh

मौर्य वंश का उदय ( 323 बी. सी. से 184 बी. सी.) कब हुई 




चन्द्रगुप्त मौर्य ( 324 ई. पू. से 298 ई. पू. ): कौटिल्य (आचार्य चाणक्य) ने मौर्य साम्राज्य की नींव डाली। चन्द्रगुप्त एक साहसी और की सहायता से चंद्रगुप्त बुद्धिमान योद्धा होने के साथ ही एक कुशल राजनीतिज्ञ भी था। चाणक्य का नंद (ध ननन्द) ने जब अपमान किया तो उसके बाद विंध्य के वनों में उनकी मुलाकात चंद्रगुप्त से हुई और अपने अपमान का बदला लेने के लिए चाणक्य ने नंद वंश को समाप्त करके शासक बन जाने के लिए चंद्रगुप्त की पूरी सहायता की। 


विवेकी और साहसी चंद्रगुप्त ने सिकन्दर के क्षत्रप सिल्यूकस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की और उसे हरा कर भारत की पश्चिम उत्तरी सीमाओं को मकदूनिया के शासन से मुक्त कराया (जो सिकन्दर द्वारा जीता गया था ) । चाणक्य की सहायता से चन्द्रगुप्त ने सिल्यूकस के अधीन सभी भू भाग जीत लिए, काबुल, कांधार, गांधार और पर्सिया सभी क्षेत्रों की विजय के बाद चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस की पुत्री से विवाह किया। एक ग्रीक यात्री मैगस्थनीज ने अपनी पाटली पुत्र यात्रा का वर्णन करते हुए चन्द्रगुप्त के शासन की बहुत प्रशंसा की है। अपनी पुस्तक "इंडिका" में मैगस्थनीज ने रोम और - ग्रीक यात्राओं के साथ ही भारत यात्रा का वर्णन भी किया है।


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