दो सम्मानीय व पूजनीय शब्द

1) जो आपको जीत के लिए अपनी हर बाजी हारा हो - पिता 
2) वो जिसे तुमने अपने हर कष्ट में पुकारा हो - माँ 




निश्चित रूप से माँ का स्थान देवतुल्य है | पर पिता भी घर का एक प्राणी है | एक पुरुष होने के नाते मेरा यह मानना है कि एक पिता स्थति घर में एक गधे की तरह है | जी हां , बिलकुल ठीक कख रहा हूँ | हम सुबह अपने काम से घर से बहार निकलते है , और जब वापस शाम को घर आते है तो हमारे हाँथ में २ थैली होती है | घर कि अवाश्य्कताओ की सारी चिंताओं का बोझ हम एक गधे कि तरह ढोते है , ताकि हमारा परिवार निश्चिन्त होकर सोये | पर बुढ़ापा आने तक अपने ही घर में पिता की अपनी ही मात्र एक वोट रह जाती है | सब बच्चे न केवल माँ के साथ होते है बल्कि माँ के लिए पिता से लड़ने कि भी तैयार रहते है |

माँ दी सिफ़त ते हर कोई के जन्दा 
पर बाप जिसे नू वी नहीं याद रहन्दा | 
है बाप वी रब दा रूप यारो ! 
जिसदे डीएम ये ओ घर आबाद रहन्दा || 
उस दिलदार दे अन्दर वी इक दिल है यारो ! 
जो घर दी ख़ुशी लायी , सदा बेताब रहन्दा | 
बेहिसाब प्यार उसदा नहीं बिखदा कोई वी 
उसदे गुस्से दा , हर किसे नू हिसाब रहन्दा ||

Written by -gulshan jagga 

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