एक मुर्गी थी | उसके दो चूजे थे एक का नाम लालू था और दूसरे का पीलू|दोनों चूजे बहुत ही सैतानी करते थे सारा दिन मुर्गी को परेशान करते रहते थे | लालू लाल चीज़ें खाता था और पीलू पीली चीज़ खाता था |लालू को जब भी कोई लाल चीज़ दिखती वो उसे तुरंत अपने मुँह में ले लेता लाज की इस आदत से मुर्गी हमेशा परेशान रहती थी पर लालू मुर्गी की बात पर ध्यान ही नहीं देता था | एक दिन लालू ने पौधे पे लाल लाल कुछ देखा और उसने वो खा लिया |
अरे! ये तो लाल मिर्च थी अब लालू की हालत बहुत बुरी हो गयी उसकी जीभ जलने लगी | लालू रोने लगा |जब मुर्गी ने लालू के रोने की आवाज़ सुनी तो दौड़ी दौड़ी लालू के पास पहुंची पीछे से पीलू भी आया | लालू की ऐसी हालत देखकर मुर्गी घबरा गयी और इधर उधर पानी ढूंढने लगी तभी पीलू जाकर पीला - पीला गुड़ लेकर आया |
और लालू को खाने के लिए कहा | जैसे ही लालू ने गुड़ का टुकड़ा मुँह में लिया वैसे ही उसकी जलन दूर हो गयी| लालू ने अपनी गलती की छमा मांगी और अपनी गलती को दोबारा न दोहराने का वादा किया लालू बोला अब मैं ध्यान से लाल चीज़ खाऊंगा पहले ये देखूंगा की कोई भी लाल चीज़ सही मुआयना करने के बाद ही खाऊंगा | लालू की बात सुनकर सब बड़े ही खुश हुए | मुर्गी ने अपने दोनों बच्चो को गले लगा लिया |
कोई भी काम करने से पहले हमें ये जरूर सोचना चाहिए की कहीं मेरे इस काम को करने से मुझे या किसी और को कोई नुकसान तो नहीं होगा | उसके बाद ही वो काम करे |
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