पार्वती जी ने ली राम जी की परीक्षा - A Motivational Story

जब सीता जी खो गयी वन में तो राम जी उन्हें बड़ी ही व्याकुलता से एक एक झाड़ी के पीछे पेड़ जल पहाड़ हर जगह ही ढूंढ रहे थे | ये देखकर पार्वती जी को बड़ा ही दुःख हुआ |
पार्वती जी राम जी की दयनीय दशा देखकर शंकर जी से बोली - भगवन! आप जिसे भगवान कहते है वो एक साधारण मानव लगता है जो अपनी पत्नी के शोक से व्याकुल है और पागलों की तरह अपनी पत्नी सीता को ढूंढ रहा है |

शिव जी शांत मन से बोले - पिये ये भगवान विष्णु का अवतार है ये बहुत ही शक्तिशाली और चमत्त्कारी है | भगवान राम जी रावण का अहंकार नष्ट करके उसका संहार करने के लिए धरती पर अवतार लेकर आये है |
शंकर जी के मुख से ये बात सुनकर वो हसते हुए बोली- अरे ये राम भगवान है जो ये भी नहीं बता सकते है की उनकी पत्नी कहाँ है | अरे जिसके पास न रथ है और न ही सैनिक है | इस मनुष्य के पास न ही कपडे है और न ही भोजन ये क्या रावण का संहार करेगा | हे प्रभु आपको अवश्य कोई भ्रम हुआ है इसकी सेना में तो सिर्फ वानर और भालू ही है ये कैसे भगवान हो सकते है |

ये सब सुनकर शिव जी बोले - मैं इस विषय में कुछ नहीं कहा सकता आप स्वयं ही परीक्षा क्यों नहीं ले लेती |
पार्वती जी बोली आप सही कह रहे है मैं सिद्ध करके रहूँगी की यह राम है कोई भगवान नहीं |
  इतना कहते ही पार्वती जी ने सीता जी का रूप धारण किया और पहुंच गयी जहाँ सभी वानर सेना के साथ राम जी विश्राम कर रहे थे |

राम जी ने हनुमान जी से कहा - कुछ देर विश्राम करने के बाद हम सीता को ढूंढने चलेंगे | उधर पार्वती जी को सीता के रूप में देखकर अरे वानर उत्साहित होकर जय जय कार करने लगे | बाबर शोर सुनकर राम जी भी अपने विश्राम गृह से बाहर निकल आये |  जैसे ही राम जी सीता रुपी पार्वती जी के पास पहुंचे तो पार्वती जी मुस्कुरा कर राम जी के पैर छूने के लिए जैसे ही झुकीं राम जी ने अपने आपको पीछे करते हुए कहा - हे माते! ये क्या कर रहीं है? आज आप अकेले ही भ्रमण पर निकल आई भोले बाबा को कहाँ छोड़ आई |
इतना सुनते ही पार्वती जी सरम से पानी पानी हो गयी और वापस शिव लोक लौट आईं |

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