भारत की जनसँख्या तीव्र गति से बढ़ती जा रही है | 2018 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसँख्या 133 करोड़ का आकड़ा पार कर चुकी है |भारत की जनसँख्या स्वतंत्रता के समय सिर्फ 33 करोड़ थी|74 वर्षो में यह जनसँख्या लगभग 4 गुनी हो गयी है | इस अंधाधुंध बढ़ती जनसँख्या ने विकास की साडी योजनाओ को धराशाही कर दिया है | चारो ओर भीड़ ही भीड़ दिखाई देती है |
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निबंध - बढ़ती जनसँख्या || Hindi Essay on Poulation |
आज की हर बड़ी समस्या के मूल में बढ़ती जनसँख्या है | आप कहीं भी चले जाइये चारों ओर भीड़ ही भीड़ दिखाई देती है |चाहे बस रेल की यात्रा हो , चाहे अस्पताल में किसी को दिखाना हो ,विद्यालय में दाखिला लेना हो अथवा किसी कार्यालय में कोई काम करवाना हो सब जगह लोग ही लोग कतार में खड़े दिखाई देंगे |
इस बढ़ती जनसँख्या के कारण हमारे सभी संसाधन काम पड़ते जा रहे है|जनसँख्या की अंधाधुंध बढ़ोतरी ने अनेक समस्याएं उत्पन्न कर दी है | अस्पतालों में मरीज डॉक्टर को घेरे रहती है , अच्छे स्कूल में सभी को आसानी से दाखिला मिलना मुश्किल हो गया है तथा रेलगाड़ी में टिकट नहीं मिल पता है,इसी जनसँख्या ने बेरोजगारी की समस्या को विकराल बना दिया है |कहीं एक जगह खाली हो तो अनगिनत आवेदना जाते है , लोगों को खान पान की चीज़ो का मिलना कठिन होता का रहा है |
हमारा देश जनसंख्या कि दृष्टि से दूसरे स्थान पर है |विश्व के जनसंख्या का छठा भाग भारत में बसा हुआ है , जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का केवल 2.4 % है|यहाँ कम क्षेत्रफल में ज्यादा लोगों को रहना पड़ रहा है|अब समय आ गया है कि भारत को इस अंधाधुंध बढ़ती जनसंख्या पर काबू करना होगा, वर्ना स्थति नियंत्रण से बहार हो जाएगी | इस जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठानी होगे |
हमारा देश जनसंख्या कि दृष्टि से दूसरे स्थान पर है |विश्व के जनसंख्या का छठा भाग भारत में बसा हुआ है , जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का केवल 2.4 % है|यहाँ कम क्षेत्रफल में ज्यादा लोगों को रहना पड़ रहा है|अब समय आ गया है कि भारत को इस अंधाधुंध बढ़ती जनसंख्या पर काबू करना होगा, वर्ना स्थति नियंत्रण से बहार हो जाएगी | इस जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठानी होगे |
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