पर्यायवरण प्रदुषण- निबंध

पर्यायवरण का शाब्दिक अर्थ है - हमारे चारो ओर का प्राकृतिक आवरण जो कुछ हमारे चारों ओर विधमान हैं , हमें ढके लपेट हुए हैं उसे पर्यायवरण कहते हैं |प्रकृति ने मानव के लिए  एक बहुत ही सुखद आवरण बनाया है |स्वास लेने के लिए शुद्ध हवा , पीने के लिए साफ़ पानी , कोलाहल रहित शांत प्रकृति,हरे भरे वन , उसमे बसने वाले पशु - पक्षी |किन्तु मानव बे इसका अनुचित लाभ उठाकर , प्रगति के नाम पर प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया और वायुमंडल को प्रदूषित कर दिया |


          वायु हमारे प्राणों का आधार है | आजकल हम जिस वायु में सांस ले रहे है , वह प्राणों के लिए हानिकारक है | उसमे धूल धुँआ कालिख जैसे हानिकारक पदार्थ है | यही ' वायु प्रदुषण' है | इसी प्रदुषण के कारण आँख , गले और फेफड़े के रोग बढ़ रहे है |
           बढ़ता हुआ शोर भी प्रदुषण का प्रमुख कारण है | इसे ध्वनि प्रदुषण कहते है | तेज़ आवाज़ में गाने बजाना , लाऊड स्पीकरो का ज्यादा इस्तमाल करना इसका मुख्य कारण है | इससे श्वरण शक्ति प्रभावित होती है | रक्तचाप , सिर दर्द और आनिंद्रा जैसे रोग भी बढ़ रहे है |
               जल जीवन का दूसरा नाम है | आजकल शुद्ध जल का मिलना दूभर हो गया है | लोगो में जल के श्रोतों को भी दुसित कर दिया है | जल को गन्दा होने से बचाना है | गंगा नदी तक प्रदूषित हो गयी है | नदी के जल में शहर की गन्दगी तथा कारखानों का कचरा डाला का रहा है | इसे रोकना होगा |
      प्रदुषण की समस्या से निपटने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए वृक्षों को कटने से भी रोकना होगा |इसी से प्रकृतिक वातावरण हरा भरा बन सकेगा तथा पर्यायवरण प्रदूषण का खतरा कम हो सकेगा |

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