माथे पर तिलक || a relational theory

हम माथे पर तिलक इसलिए लगाते है ताकि माथा ठंडा रहे | शांत मस्तिष्क से शरीर सामान्य रहता है और ठण्डे दिमाग से ही विवेक के द्वारा हम सारे काम ठीक - ठाक कर पाते है |यही माथा जब गर्म हो जाये तो गुस्से में विवेक खो बैठते है | जितने भी गलत काम होते है , गुस्सा उनकी एक वजय होता है | घर में पिता यानि घर के मुखिया ओर ऑफिस में बॉस आगे गुस्से में हो तो वह अपने चारों ओर सबका जीना मुश्किल कर देता है | इसीलिए हमारे शरीर का बॉस हमारा मस्तिष्क शांत रहना चाहिए |



          घर में परिवार के सभी लोगो का यह फर्ज बनता है कि बड़ी शालीनता से आपसी तालमेल बनाये रखें और कोशिश करें कि परिवार के मुखिया को गुस्सा न आये | शान्ति जिस भी कीमत पर मिले सस्ती है | वही परिवार , वही संस्थाएँ और वही राष्ट्र अधिक उन्नति करते है | जहाँ शांति हो और आपसी मेल मिलाप अधिक हो |
          पिता जी सुबह हल्दी उठकर एक एक करके सबको उठाते है |और जीवन की गाड़ी चलनी शुरू होती है | चूँकि पिता जी परिवार के मुखिया है , इसलिए उनके दिमाग में एक एक काम समय के साथ - साथ घूम रहा होता है कि सारे दिन में किस किस ने  क्या क्या करना है ? वह अपने दिमाग कि बड़ा ही शांत रखते हुए दिन कि शुरुआत कराते है | पिता जी घर के परिस्थितियों के निर्माता है |मुझे अब रह रह कर याद आता है कि जब हम बच्चे थे तो पिता जी हमें सुबह हल्दी उठने के लिए अक्सर दन्त दिया करते थे ......तब हमें बड़ा ही बुरा महसूस होता तहत | हम मन ही मन गुस्से में भुनभुनाते थे -क्या है ....सोने भी नहीं देते | आज पता चला की सुबह हल्दी उठने के कितने फायदे है | आज हम मांटेल है की वो ठीक थे , हम गलत थे | आगे उन्होंने उस समय वो सख्ती न बरती होती , तो आज हम इतने कामयाब न बन पते |



Gud times ,tought times , any time ...... Father's are there .

A father will be there to help you discover all the wonderful things about you.

At the cross roads of our lives , father's answer the questions, "which way".


                      Written by Gulshan jagga 

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