Indian History - क्या खानाबदोश पशुचारक निश्चित रूप से शहरी जीवन के लिए खतरा थे

क्या खानाबदोश पशुचारक निश्चित रूप से शहरी जीवन के लिए खतरा थे ?


Were nomadic pastoralists certainly a threat to urban life



मिस्र चारों ओर से प्राकृतिक साधनों से सुरक्षित था वैसा मैसापोटामिया का देश नही था। इसलिये इसे सदा ही विदेशी आक्रमणकारियों का खतरा बना रहता था। सम्भवतया: इस कारण वहाँ समय-समय पर अनेक सभ्यताए पनपती रहीं, बिगड़ती रही और फिर राख में से उभर कर सामने आती रहीं। समय-समय पर वहाँ सुमेरियन, बेबीलोनियन और असीरियन सभ्यतायें बनती और बिगड़ती रही।

 

इस असुरक्षा की सम्भावना और डर मैसोपोटामिया के शहरवासियों को भी सदा बना रहती था। इस कमजोरी का लाभ उठाकर कभी-कभी खानाबदोश पशुचारक भी चोर-डाकुओं का रूप धारण कर लेते थे। विशेषकर जब राजा शिक्षित और कमजोर होते थे तो यह खानाबदोश पशुचारक शहर के किसी भी हिस्से में घुसकर लूट मार मचा देते थे और देखते ही देखते गायब हो जाते थे। शहरों के किनारों पर रहने वाले लोगों को इनसे अधिक खतरा बना रहता था और वे बार- बार इन खानाबदोश पशुचारकों की लूटमार का निशाना बन जाते थे। इसलिये शहरों की पुलिस इन खानाबदोश पशुचारकों पर कड़ी नजर रखती थी और उन्हें शहर के निकट नहीं आने देती थी। फिर भी चौकसी के ढीला हो जाने से कभी-कभी यह खानाबदोश पशुचारक अपना दाँव मार जाते थे। शहर के अधिकारियों के लिए इस प्रकार यह खानाबदोश पशुचारक सदा चिन्ता का कारण बने रहे।


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