एक बार एक जिज्ञासु ने स्वामी विवेकानंद से पूछा "संसार में माँ की महानता क्यों गयी जाती है ?" स्वामी जी में इस पर मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति से कहा, "पांच किलो का एक पत्थर ले आओ |" जब वह व्यक्ति पत्थर लेकर आया तो स्वामी जी ने कहा," इसे कपडे से लपेट कर पेट पर बांध लो और 24 घंटे बाद मेरे पास आओ |"
उस आदमी ने ऐसा ही किया लेकिन कुछ ही समय बाद उसके लिए काम करना मुश्किल हो गया | उसे उस दिन बहुत ही दिक्कत हुई पांच किलो बजन पेट में लेकर काम करने में उसे नानी याद आ गयी | तब वो थका हुआ सा स्वामी जी के पास आया और बोला, "अब मैं इस बोझ को और नहीं उठा सकता आपने मेरे एक सवाल पूछने की इतनी बड़ी सजा क्यों दी ? "
स्वामी की ने कहा, " इस पत्थर का बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं सहा गया और माँ पूरे 9 मॉस तक शिशु का बोझ उठती है | इस बोझ के साथ वो पूरा काम करती है और कभी भी विचलित नहीं होती है | माँ से ज्यादा सहनशील कौन है ? इसीलिए माँ की महिमा सबसे ज्यादा है |"
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