आपके पास जो है उसकी कद्र करो
यह तो किसी को बताने की जरुरत नहीं है की रामायण के राम और सीता कौन थे। और अगर पता है तो यह भी पता होगा वनवास के समय सीता ने जंगल में जब सोने का मृग देखा तो वो राम से बोलीं - प्रभु ! मुझे यह सोने का मृग चाहिए , मुझे लेकर दीजिये |
प्रभु राम तुरन्त मृग को लाने चल दिए | जबकि सीता यह बात अच्छी तरह जानती थी कि सोने का मृग नहीं होता है और दूसरी बात जब राम और सीता सब कुछ छोड़कर जंगल में गए है तो फिर सोने के लिए मृग -तृष्णा क्यों ?
दूसरी तरफ राम भी जानते थे कि सोने का मृग नहीं होता, फिर भी वो सीता को खुश करने के लिए सोने का हिरण लेन चल दिए।
परिस्थितियाँ बदली - वो हिरण तो मात्र एक दृष्टि - भ्रम था | यह एक भ्रम था सीता को हरण करने के लिए। सीता का अपहरण हो गया | अब वह रावण की कैद में है।
अब सीता सोने की लंका में है, लेकिन अब उन्हें सोना नहीं, केवल प्रभु राम चाहिए और इधर राम को भी हिरन नहीं केवल सीता चाहिए। वो जंगल के पेड़ - पौधों व पक्षियों से केवल सीता का ही पता पूछ रहे है।
कहानी का सार
मित्रों ! इस कहानी से आपको क्या समझ आया। इस कहानी का सार यह है कि माता - पिता के रूप में अथाह दौलत हमें ईश्वर ने दी है और हम उनका मान - सम्मान न करके चंद चाँदी के टुकड़ो के लिए उन्हें ठुकरा देते है। हमारी इच्छाएं उस सोने के हिरन की तरह हकीकत में मृग तृष्णा है। हमारे परिवार के बड़े बुजुर्ग हमारे लिए कितने कीमती है, यह हमें तब पता चलता है जब हम उन्हें खो चूके होते है। तो जो भी आपके पास है उसकी कद्र करो, उसका मान सम्मान करो अहसान मंद रहो। क्योकि जो मिला है उससे संतुष्ट रहने वाला व्यक्ति ही जीवन की असली ख़ुशी को पा लेता है।
" धूप में छाया बड़ी चीज़ है
गरीबी में माया बड़ी चीज़ है
हमेशा रहे हमारे सर पर
बुजुर्गों का साया बड़ी चीज़ है |"
Written by Gulshan jagga
Written by Gulshan jagga
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