हड़प्पायुगीन नगर अर्थव्यवस्था पर एक निबंध -
अर्थव्यवस्था - हड़प्पा सभ्यता में लोगों का आर्थिक जीवन बहुत समृद्ध था। प्राप्त प्रमाण से पता चलता है कि सिन्धुघाटी के निवासी अनाजों में गेहूँ, जौ, कपास, मटर, तिल और चावल तथा फलों में खजूर, नारियल, तरबूज, केला, अनार तथा नींबू पैदा करते थे। वे कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी करते थे। हड़प्पा निवासी विभिन्न धातुओं, मिट्टी, लकड़ियों और पत्थरों का प्रयोग विभिन्न उद्योगों और व्यवसाय में करते थे। उनका औद्योगिक जीवन बहुत समृद्ध था । औद्योगिक एवं शिल्पी वर्ग में कुम्हार, सुनार, हाथीदाँत के शिल्पी, बुनकर, रंगरेज आदि होते थे। धातुओं के साथ-साथ शंख, सीप, घोंघा और हाथीदाँत के काम में बहुत निपुण थे। धातुओं को गलाने, ढालने का काम हड़प्पा कारीगर जानते थे। ताँबा इनकी मुख्य धातु होती थी। इस सभ्यता में आंतरिक व्यापार बहुत समृद्ध था। नाप और तौल के लिए विभिन्न मानकों का सटीक प्रयोग होता था। तौल के लिए विभिन्न प्रकार के पाषाणों के बाटों का उपयोग करते थे। हड़प्पा सभ्यता के निवासी भारत के विविध भागों से ही व्यापार नहीं करते थे बल्कि एशिया के अन्य देशों के साथ भी इनका व्यापारिक सम्बन्ध बना हुआ था। हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त छोटी आकृति की मोहरों से हड़प्पा के वाणिज्य और व्यवसाय का स्पष्ट पता चलता है।
समुद्री व्यापार के लिए सिन्धु सभ्यता के लोगों ने समुद्र तट पर अनेक व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए थे। यहाँ वे समुद्री व्यापार के लिए व्यापारिक माल असबाव की अदला-बदली करते थे और आवश्यक खाद्य सामग्री प्राप्त करते थे । सम्भवतया आधुनिक सौराष्ट्र के समुद्री तट और उसके समीप किम नदी तट पर भगत्राव, नर्मदा तट पर मेघम, साबरमती नदी तट पर लोथल, हिरण्य नदी तट पर प्रभास आदि समुद्र तटीय व्यापार के लिए केन्द्र और बन्दरगाह थे।
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