एक गुरु ने अपने एक छात्र से पूछा कि ज़िन्दगी क्या है ? शिष्य ने उत्तर दिया - ' गुरुदेव ! ज़िन्दगी बहुत विकट है | चारों ओर अंधकार ही अंधकार है | दो लम्बी लम्बी रातो के बीच थोड़ी देर के लिए दिन अर्थात प्रकाश होता है |'
यही प्रश्न गुरु ही में दूसरे शिष्य से पूछा तो वह बोलै - ' प्रभु ! जिंदगी में बहारे ही बहारे है , खुशियाँ ही खुशियाँ है | दो प्रकाशमान दिनों के बीच बस थोड़ी देर के लिए रात होती है | ' इस उत्तर से गुरु ही प्रशन्न हो गए और छात्र से बोले , तुमने सही अर्थो में जिंदगी को सीखे है |
वास्तव में ज़िन्दगी हमें ईश्वर द्वारा दिया गया एक अनमोल उपहार है | इसे जिंदादिली के साथ जिए | पुनः प्रयास और फिर सफलता प्राप्त करना आपके हाँथ में है -
माना अगम अगाध सिंधु है , तुफानो पार नहीं है , किन्तु डूबना मझदारो में , साहस को स्वीकार नहीं है|
एक गिलास जो आधा पानी से भरा है , निराशवादी उसे कहते है कि आधी गिलास खाली है | परन्तु आशावादी कहते है कि आधा गिलास भरा है |
अपने दुःख में रोने वाले , मुस्कुराना सीखे ले
दुसरो के दर्द में , आँसू बहाना सीख ले
जो खिलने में मज़ा है , आप खाने में नहीं
ज़िन्दगी में तू किसी के काम आना सीख ले |
Written by Gulshan jagga
0 Comments