शादी करने के बाद लड़की की विदाई क्यों होती है लड़के की बिदाई क्यों नहीं होती और यह प्रथा कब से शुरू हुई ?
शादी करने के बाद लड़की की विदाई क्यों होती है |
हमने अक्सर देखा है कि जब भी किसी की शादी होती है तो शादी के बाद रीति रिवाजों के अनुसार एक लड़की को ही अपना घर छोड़ कर पति के घर जाना होता है । इसमें कोई संदेह नहीं कि पुरुष प्रधान समाज होने के कारण अधिकतर जो नियम और रेगुलेशन बनाए गए हैं उनको मध्य नजर रखते हुए बनाए गए थे । शादी के बाद लड़की का पिता का घर छोड़ कर पति के घर आने की विधि के पीछे एक बहुत बड़ा व्यवहारिक कारण था ।
प्रकृतिक कारणों के कारण सभ्यता के आरंभ से ही बाहर जाकर भोजन का प्रबंध करने का जिम्मा पुरुषों का रहा और स्त्री का घर में रहकर बच्चों को जन्म देना, उनका पालन पोषण करना, घर को संभालना था । फिर खेती-बाड़ी शुरू हुई । लोग अपना घर एक जगह बसाने लगे । इसके साथ ही शुरू हुई सामाजिक व्यवस्था प्रथाओं की शुरुआत ।
जीवन जीने का एकमात्र जरिया था खेती-बाड़ी करना इसके साथ ही बेचना और खरीदना भी शुरू हो गया । (शादी करने के बाद लड़की की विदाई क्यों होती है)
मनोवैज्ञानिक कारण
पुरुष हमेशा से ही वर्चस्व चाहता था । जब कि स्त्री जो होती है वह कोमल स्वभाव के होने वाली और अपनी इच्छाओं को दबाने वाली होती है । पत्नी नए लोगों में जाकर एडजेस्ट कर सकती है । जबकि यह पुरुष के लिए संभव नहीं हो पाता ।इसके अलावा एक कारण यह भी हो सकता है कि स्त्री का अपने शारीरिक और आर्थिक रूप से कमजोर होना और पुरुषों पर निर्भर रहना भी उसके दबने का एक कारण था ।अगर लड़के का लड़की के घर चले जाने की प्रथा होती तो शायद कंडीशन और ज्यादा भयानक होती है ।
लड़की में हिम्मत होती है कि वह अपना घर बार छोड़ कर अकेले पति के घर आती है । और बहुत कम समय में पूरा अपना साम्राज्य बना लेती है । आज के परिवेश में स्त्री बाहर जाकर आसानी से कमा सकती है लेकिन यह पुराने समय में भी संभव नहीं था । और वहां केवल पुरुषों को ही बाहर जाने की परंपरा थी ।
शादी के बाद लड़की के घर छोड़ने का एक कारण यह भी है कि पुरुषों स्वाभाव से ही अहंकारी है । वह किसी और घर में जाकर अपने को ढाल ले यह संभावना बहुत कम है । आप देख सकते हैं कि दुनिया भर में महिलाओं को ही घर छोड़कर जाने के प्रथा है । जो महिला कर सकती है वह पुरुष के बस की बात नहीं है । जहां तक संभव है इसीलिए यह व्यवस्था की गई होगी ।
इस प्रथा का शुरुआत कब और कैसे हुआ
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि कानून और सामाजिक प्रथाओं में बहुत अंतर होता है कानून एकाएक बदले जा सकते हैं । लेकिन प्रथा और सामाजिक परम्पराये समय और आवश्यकता के अनुसार धीरे-धीरे ढलते रहती है । तभी समाज में गहराई तक इसकी जगह फैली होती है ।
किसी कानून को आसानी से बदला जा सकता है लेकिन प्रथाओं को आसानी से बदल पाना किसी के बस की बात नहीं है । और लड़कियों के विदाई के प्रथा तो समाज के शुरुआत से ही चली आ रही है । चाहे वह महाभारत की द्रौपदी हो या फिर रामायण की सीता और राजा दशरथ की तीनों रानियों का एक ही घर में रहना रामायण में हमने पढा है । (शादी करने के बाद लड़की की विदाई क्यों होती है)
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आधुनिक काल में इस प्रथा में कमी आई है जो की बदलती हुई परिस्थितियों का नतीजा है । आज के समाज में युवा नौकरी पेशा हो गए हैं जो अपनी जगह बदलते रहते हैं । दूसरी बात यह कि नौकरी करने वाली लड़कियां खुद ही स्वावलंबी हो गई है । और आंखें मूंदकर किसी की बात मानने को तैयार नहीं होती लड़कियां स्वतंत्र रहना चाहती है । सामाजिक रीति रिवाज समय और आवश्यकता के अनुसार बदलते रहते हैं समाज में जिंदा रहने के लिए यही आवश्यक शर्त भी है । पर सामाजिक बदलाव बहुत धीमी गति से होते हैं ।
शादी करने के बाद लड़की की विदाई क्यों होती है लड़के की बिदाई क्यों नहीं होती और यह प्रथा कब से शुरू हुई ?
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