भारत के राष्ट्रपति की विशेषताएं और कार्यकाल
अनुच्छेद 52-78 राष्ट्रपति की भूमिका और शक्तियों से संबंधित है। राष्ट्रपति भारत का पहला नागरिक है। संविधान में अनुच्छेद 52-62 जैसे प्रावधान भी हैं जो भारत के राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रियाओं और महाभियोग प्रक्रिया से संबंधित हैं।
देश का मुखिया होने के अलावा, राष्ट्रपति सशस्त्र बलों का कमांडर इन चीफ भी होता है। राष्ट्रपति का पद नाममात्र के मुखिया जैसा होता है, हालाँकि, कुछ विशेष शक्तियाँ होती हैं जिनका वह विशेष रूप से आनंद उठाता है। राष्ट्रपति की प्राथमिक भूमिका भारत के संविधान की रक्षा, सुरक्षा और संरक्षण करना है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल
1. राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित किया गया है।
2. मृत्यु, त्यागपत्र अथवा महाभियोग द्वारा पदच्युत के कारण राष्ट्रपति का पद 5 वर्ष की अवधि के भीतर रिक्त हो जाए तो इस स्थिति में नए राष्ट्रपति का चुनाव पुन: 5 वर्ष की संपूर्ण अवधि के लिए होता है न कि शेष अवधि के लिए।
3. राष्ट्रपति का पद रिक्त होने के बाद इसे 6 माह के अंदर भरना आवश्यक है।
3. संविधान द्वारा राष्ट्रपति पद पर "पुनर्निर्वाचन" के लिए किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
वेतन एवं भक्ते
1. 6वे वेतन आयोग के अनुसार 1.50 Rs लाख रुपये प्रतिमाह
2. नवीन वेतन लागू - जनवरी, 2007 से लागू
3. राष्ट्रपति को नि:शुल्क शासकीय आवास (राष्ट्रपति भवन) उपलब्ध होता है।
3. अनुच्छेद 59 के अनुसार, राष्ट्रपति की उपलब्धियाँ और भत्ते उसके कार्यकाल में कम नहीं किए जा सकते।
4. राष्ट्रपति के वेतन, भक्ते आदि भारत की संचित निधि से दिए जाते हैं।
राष्ट्रपति को हटाने की विधि
1. राष्ट्रपति को अपने कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व भी संविधान के उल्लंघन के लिए महाभियोग द्वारा पद मुक्त किया जा सकता है।
2. संसद के किसी भी सदन में इस प्रयोजन से 2/3 बहुमत द्वारा प्रस्ताव के रूप में आरोप प्रस्तुत किए जा सकते हैं, पर उससे पहले संसद के उस सदन के कम से कम 1/4 सदस्य द्वारा हस्ताक्षरित न्यूनतम 14 दिनों का नोटिस देना पड़ता है। दूसरा सदन आरोप की जाँच करता है यदि दूसरे सदन की कुल सदस्य संख्या के 2/3 बहुमत द्वारा भी अंतिम रूप से आरोपों को सही पाया जाता है तो राष्ट्रपति को तत्काल पद से हटा दिया जाता है।
3. राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए जाँच करने वाले सदन के सामने स्वयं उपस्थित हो या उसकी ओर से उसका प्रतिनिधि उपस्थित हो।
4. राष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूर्ण होने से पहले भी अपने पद से त्यागपत्र दे सकता है। वह अपना त्याग पत्र उपराष्ट्रपति को देता है।
5. मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने की स्थिति में उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के पद पर तब तक काम करेगा जब तक नए राष्ट्रपति का चुनाव न हो जाए।
राष्ट्रपति की स्थिति
राष्ट्रपति केंद्र में शासन का नाममात्र का अध्यक्ष होता है। वास्तविक शक्ति मत्रि परिषद के हाथों में रहती है। शासन का समस्त कार्य राष्ट्रपति के नाम से होता है। यह कार्य वह मत्रि परिषद् की सलाह के अनुसार करता है।
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