भारतीय नागरिकता (भारतीय नागरिकता की प्राप्ति) -Acquisition of Indian citizenship
1. जन्म से व्यक्ति 26 जनवरी, 1950 तक या उसके बाद भारत में पैदा हुआ प्रत्यक भारतीय नागरिक माना जाएगा बशर्त उसके जन्म के समय उसके माता - पिता दोनों में से कोई एक भारत का नागरिक रहा हो।
2. रक्त सम्बन्ध या वंशाधिकार से के 26 जनवरी, 1950 को या उसके पश्चात् भारत बाहर जन्म लेने वाला व्यक्ति भी भारत का नागरिक माना जाएगा, यदि उसके जन्म के समय उसके पिता या माता भारत के नागरिक रहे हों।
3. पंजीकरण द्वारा - निम्नलिखित व्यक्ति पंजीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं :
क) वे व्यक्ति जो पंजीकरण प्रार्थना रह रहे हों।
ख). वे भारतीय, जो अविभाज्य भारत से बाहर किसी देश में निवास कर रहे हों।
ग). वे स्त्रियां जो भारतीयों से विवाह कर चुकी हों या भविष्य में विवाह करेंगी।
घ). राष्ट्रमण्डलीय देशों के नागरिक, जो भारत में रहते हों या भारत सरकार की नौकरी कर रहे हों
4. देशीकरण द्वारा पत्र देकर भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। कोई भी विदेशी नागरिक जो 12 वर्ष से भारत में रह रहा हो तथा कतिपय शर्तों को पूरा करता हो वह भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
5. भूमि विस्तार द्वारा वहाँ यदि किसी नवीन क्षेत्र को भारत में शामिल किया जाए तोकी जनता को भारतीय नागरिकता प्राप्त हो जाएगी। भारतीय नागरिकता का अन्त भारतीय नागरिकता का अन्त तीन प्रकार से हो सकता है :
1). नागरिकता का परित्याग करने पर,
2). स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार कर लेने से,
3). संघ सरकार द्वारा नागरिकता का अपहरण कर लेने पर।
संघ सरकार निम्न आधारों पर नागरिकता का अपहरण कर सकती हैं असत्य अभिलेख, देशद्रोह करने पर, दीर्घकाल तक और अनुमति के बिना देश से बाहर रहने पर, अपराध करने पर, ओवरसीज नागरिकता जनवरी 2004 में भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करके 16 देशों (स्विट्जरलैण्ड, आस्ट्रेलिया, कनाडा, इजराइल, पुर्तगाल, फ्रांस, स्वीडन, न्यूजीलैण्ड, यूनान, साइप्रस, इटली, आयरलैण्ड, नीदरलैण्ड, ब्रिटेन व अमरीका) में बसे भारतीय मूल के लोगों को उनकी विदेशी नागरिकता के साथ भारत की 'ओवरसीज नागरिकता' प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। ऐसी दोहरी नागरिकता को प्राप्त करने वाले भारतीय व्यक्तियों (एफ आई ओ एस (FIOS) ) की भारत में आने जाने की स्वतंत्रता होगी, किन्तु उन्हें सताधिकार या संवैधानिक पद प्राप्त करने का अधिकार नहीं होता।नागरिकता का स्वतः निरस्तीकरण भारतीय नागरिकता का स्वत: निरस्तीकरण निम्न अवस्थाओं में हो जाता है :-
1). स्वेच्छा से नागरिकता का परित्याग करने से
2). किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार कर लेने से
3). सरकार द्वारा नागरिकता का अधिकार छीन लेने पर।
दोहरी नागरिकता कब प्रदान की जाएगी-
1). ऐसे भारतीयों को जो 26 जनवरी, 1950 (पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर) के बाद देश छोड़कर विदेशों में चले गए थे, को दोहरी नागरिकता प्रदान की जाएगी।
2). प्रवासी भारतीयों के लिए 'ओवर सीज सिटीजन ऑफ इंडिया' (ओ. सी. आई. योजना का शुभारम्भ प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जनवरी, 2006 में हैदराबाद में चौथे प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में किया। विदेशी नागरिकता प्राप्त भारतीयों को ओ. सी. आई. कार्ड के तहत भारत आने के लिए पूर्ण जीवन काल के लिए वीजा प्राप्त होगा।
3). ओ. सी. आई. कार्ड धारकों को भारत में न तो मतधिकार प्राप्त है और न ही कोई सार्वजनिक पद वह प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1986 भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1986 के आधार पर भारतीय संशोधन अधिनियम, हैं।
1955 में निम्नलिखित संशोधन किए गए-
क). अब भारत में जन्मे केवल उस व्यक्ति को ही भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी, जिसके माता भारतीय नागरिक हो ।
ख). जो व्यक्ति पंजीकरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं, :- माता पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो। उन्हें अब भारत में कम से कम पांच वर्ष व्यतीत करने होंगे।
ग). देशीकरण द्वारा नागरिकता तभी प्रदान की जाएगी, जबकि सम्बन्धित व्यक्ति कम से कम 10 वर्षों तक भारत में रह चुका हो। पहले यह अवधि 5 वर्ष थी।
नागरिक संशोधन अधिनियम, 1986 जम्मू - कश्मीर व असम सहित भारत के सभी राज्यों पर लागू हैं।
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