वर्ण - हिंदी भाषा || Hindi Characters

वर्ण ( अक्षर ) -

बोलते समय जिन ध्वनियों का उच्चारण करा जाता है वर्ण कहलाता है |
वर्ण हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई है जिसे हम विभाजित नहीं कर सकते है | कहने का मतलब इसके टुकड़े नहीं किये का सकते है जैसे - क , ख , ग इत्यादि |

वर्णमाला -

भाषा के व्यवस्थित वर्णो को वर्णमाला कहते है | एक तरीके से कहा जा सकता है की वर्णो की माला को वर्णमाला कहते है |
हिंदी भाषा में वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते है |जिसमे से 33 व्यंजन और 16 स्वर होते है |



स्वर वर्ण -

वे वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता न लेनी पड़े स्वर कहलाते है | इसके उच्चारण में कंठ की आवश्यकता होती है जीभ और होठ विराम अवस्था में रहते है |

अ  आ  इ  ई  उ  ऊ  ए  ऐ  ओ  औ  ऋ  अं  अ: 

स्वर के प्रकार ( भेद )-

स्वर को दो भागो में विभाजित किया गया है -
1) मूल स्वर 
2) संयुक्त स्वर 

1) मूल स्वर - 

मूल स्वर वो स्वर होते है जो किसी अन्य स्वर की सहायता से नहीं बनते है |

अ  आ  इ  ई  उ  ऊ  ए  ओ  ऋ

मूल स्वर के भी तीन भेद होते है -

( क) हस्व स्वर 
( ख) दीर्घ स्वर 
( ग ) प्लुत स्वर 

( क) हस्व स्वर-

जिन स्वरो के उच्चारण में कम समय लगता है वो हस्व स्वर कहलाते है |

अ  आ  उ  ऋ

का इस्तमाल मात्रा के रूप में किया जाता है और इसका उच्चारण आप रि जैसे करते है |

ख ) दीर्घ स्वर -

वो स्वर जिसमे ह्स्व स्वर से उच्चारण में समय ज्यादा लगता है ,दीर्घ स्वर कहलाते है |कहने का तात्पर्य ये है  इनके उच्चारण में हास्य स्वर  से दुगुना अर्थात् 2 मात्रा का समय लगता है |

आ  ई  ऊ  ए  ऐ  ओ 

ग ) प्लुत स्वर -

वो स्वर जो उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी ज्यादा समय लेते है वो प्लुत स्वर कहलाते है |इसके उच्चारण में दीर्घ स्वर से सिग्नस समय अर्थात 03 मात्राओ का समय लगता है |

   ॐ   ओम  

व्यंजन -

उच्चारण के आधार पर व्यंजन को तीन भागो में विभाजित किया गया है |

क ) स्पर्श व्यंजन 
ख ) अन्तः व्यंजन 
ग ) ऊष्म व्यंजन 

क ) स्पर्श व्यंजन -

स्पर्श का तात्पर्य छूने से होता है स्पर्श व्यंजन वो व्यंजन कहलाते है जिनके उच्चारण में जीभ मुँह के किसी भी भाग को स्पर्श करती है जैसे , होठ तालु , दन्त, तालु आदि को जीभ स्पर्श करती है |

 अ ) कष्टव्य व्यंजन - इनके उच्चारण में कंठ यानि गले का स्पर्श जीभ से होता है |

क  ख  ग  घ  ड़ 

आ ) तालव्य व्यंजन - जिन व्यंजन के उच्चारण में जीभ और तालु का स्पर्श होता है वो तालव्य व्यंजन कहलाते है |

च  छ  ज  झ  

इ ) मूर्धन्य व्यंजन - जिन व्यंजन के उच्चारण में जीभ के पतले भाग और तालु के ऊपरी भाग का स्पर्श होता है |

ट  ठ  ड  ढ  ण

ई ) दन्तव्य व्यंजन - जिन व्यंजनों के उच्चारण में जीभ और दन्त अर्थात दांत का स्पर्श होता है दन्तव्य व्यंजन कहलाता है |

त  थ  द  ध  न 

उ ) ओष्ठय व्यंजन  -जिन व्यंजन के उच्चारण में होठो का परस्पर स्पर्श होता है होष्ठव्य व्यंजन कहलाते है |

प  फ  ब  भ  म 

ख ) अन्तः स्थ व्यंजन -

उच्चारण के समय जो व्यंजन मुख के अंदर ही रह जाते है अन्तः स्थ व्यंजन कहलाते है अन्तः का अर्थ भीतर होता है |

य  र  ल  व  श 

ग ) उष्म व्यंजन -

उष्म का अर्थ गर्म से होता है | जिन व्यंजन के उच्चारण में हवा मुख के अंदर विभिन्न भागो से टकराये वो व्यंजन उष्म व्यंजन कहलाते है |

स  श  ष  ह 








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