ग्रीष्म ऋतु पर टिप्पणी कीजिए
सूर्य के उत्तर की ओर आभासी गति के कारण भूमंडलीय ताप पट्टी उत्तर की तरफ खिसक जाती है मार्च से मई तक भारत में ग्रीष्म ऋतु होती है। ताप पट्टी के स्थानांतरण के प्रभाव का पता विभिन्न अक्षांशों पर मार्च से मई के दौरान रिकॉर्ड किए गए तापमान को देखकर लगाया जा सकता है। मार्च में दक्कन के पठार का उच्च तापमान लगभग 38° सेल्सियस होता है। अप्रैल में मध्य प्रदेश एवं गुजरात का तापमान लगभग 42° सेल्सियस होता है। मई में देश के उत्तर-पश्चिमी भागों का तापमान समान्यतः 45° सेल्सियस होता है। प्रायद्वीपीय भारत में समुद्री प्रभाव के कारण तापमान कम होता है।
देश के उत्तरी भाग में, ग्रीष्मकाल में तापमान में वृद्धि होती है तथा वायु दाब में कमी आती है। मई के अंत में, उत्तर-पश्चिम में धार के रेगिस्तान से लेकर पूर्व एवं दक्षिण-पूर्व में पटना तथा छोटा नागपुर पठार तक एक कम दाब का लंबवत क्षेत्र उत्पन्न होता है। पवन का परिसंचरण इस गर्त के चारों ओर प्रारंभ होता है।
लू, ग्रीष्मकाल का एक प्रभावी लक्षण है। ये धूल भरी गर्म एवं शुष्क पवनें होती हैं, जो कि दिन के समय भारत के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में चलती हैं। कभी-कभी ये देर शाम तक जारी रहती हैं। इस हवा का सीधा प्रभाव घातक भी हो सकता है। उत्तरी भारत में मई महीने के दौरान सामान्यत: धूल भरी आँधियाँ आती हैं। ये आँधियाँ अस्थायी रूप से आराम पहुँचाती हैं, क्योंकि ये तापमान को कम कर देती हैं तथा अपने साथ ठंडे समीर एवं हल्की वर्षा लाती हैं। इस मौसम में कभी-कभी तीव्र हवाओं के साथ गरज वाली मूसलाधार वर्षा भी होती है, इसके साथ प्रायः हिम वृष्टि भी होती है। वैशाख के महीने में होने के कारण पश्चिम बंगाल में इसे 'काल वैशाखी' कहा जाता है।
ग्रीष्म ऋतु के अंत में कर्नाटक एवं केरल में प्रायः पूर्व-मानसूनी वर्षा होती है। इसके कारण आम जल्दी पक जाते हैं तथा प्राय: इसे 'आम्र वर्षा' भी कहा जाता है।
0 Comments