थोड़ा सा सम्मान मिला, पागल हो गए |
थोड़ा सा धन मिला, बेकाबू हो गए |
थोड़ा सा ज्ञान मिला, उपदेश की भाषा सीख ली |
थोड़ा सा यश मिला, पाखण्डी चेहरा ओढ़ लिया |
थोड़ा सा रूप मिला, दर्पण सारे तोड़ दिए |
थोड़ी सी ख़ुशी मिली घमंडी हो गए |
थोड़ा सा अंधकार मिला, अन्याय का दामन थाम लिया |
थोड़ा सा क्रोध मिला, अपना भविष्य बर्बाद किया |
थोड़ा सा सत्संग करके, ओ बन्दे! अपना भविष्य सवार ले |
थोड़ा सा डर लगा झूठ का सहारा लिया |
सम्मान करोगे तो सम्मान मिलेगा |
अच्छे दोस्त मिले, तो कदर न कर पाए |
जीने की आजादी मिली, सही से जी ना पाए |
जीवन में इतने मोड़ आये, सही रिश्ता चुन ना पाए |
"संघर्ष ही जीवन है" का मन्त्र मन में उतार ले |
तब तेरे दिल से निकलेगी यह मीठा स्वर लहरी |
देह भले ही तिल -तिल मिट जाये |
पर पथ से न भटक साथी संघर्षो से हर ना साथी |
थोड़ा सा धन मिला, बेकाबू हो गए |
थोड़ा सा ज्ञान मिला, उपदेश की भाषा सीख ली |
थोड़ा सा यश मिला, पाखण्डी चेहरा ओढ़ लिया |
थोड़ा सा रूप मिला, दर्पण सारे तोड़ दिए |
थोड़ी सी ख़ुशी मिली घमंडी हो गए |
थोड़ा सा अंधकार मिला, अन्याय का दामन थाम लिया |
थोड़ा सा क्रोध मिला, अपना भविष्य बर्बाद किया |
थोड़ा सा सत्संग करके, ओ बन्दे! अपना भविष्य सवार ले |
ऐसा क्यों होता है - A Hindi Poem Why it Will Happen |
सम्मान करोगे तो सम्मान मिलेगा |
अच्छे दोस्त मिले, तो कदर न कर पाए |
जीने की आजादी मिली, सही से जी ना पाए |
जीवन में इतने मोड़ आये, सही रिश्ता चुन ना पाए |
"संघर्ष ही जीवन है" का मन्त्र मन में उतार ले |
तब तेरे दिल से निकलेगी यह मीठा स्वर लहरी |
देह भले ही तिल -तिल मिट जाये |
पर पथ से न भटक साथी संघर्षो से हर ना साथी |
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