अग्रिम जमानत कैसे होती है - What is Anticipatory Bail?
अकसर जमानत किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट द्वारा की जाती है। अग्रिम जमानत व्यक्ति की गिरफ्तारी के पहले ही प्रदान की जाती है। अगर किसी आदमी ने अपनी अग्रिम जमानत करा रखी है, तो उस व्यक्ति को गिरफ्तारी के है। दण्ड प्रक्रिया संहिता संशोधन अधिनियम, 2005 की धारा 438 द्वारा अग्रिम जमानत को निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया है-
जब किसी व्यक्ति को अजमानतीय अपराध में गिरफ्तार होने की आशंका होती है, तो वह व्यक्ति सेशन कोर्ट या हाईकोर्ट से अपनी अग्रिम जमानत करवा सकता है। अग्रिम जमानत देना या न देना कोर्ट के विवेक और सोच का विषय है। कोर्ट मामले की परिस्थितियों को देखकर अग्रिम जमानत स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। अग्रिम जमानत देते समय कोर्ट तुरन्त बाद छोड़ दिया जाता है या गिरफ्तार ही नहीं किया जाता कुछ शर्ते भी लागू कर सकता है; जैसे-
- वह किसी व्यक्ति को यह धमकी नहीं देगा कि वह पुलिस को कोई बात न बताए।
- वह व्यक्ति पुलिस के सवालों के जवाब देने के लिए हाजिर रहेगा।
- कोर्ट की आज्ञा के बिना उस व्यक्ति को अपना देश छोड़ने का अधिकार नहीं होता।
अग्रिम जमानत देते समय निम्न तथ्यों पर विचार किया जाता है-
- क्या आवेदक को पहले किसी संगीन अपराध के लिए दण्डित किया गया है?
- अभियोग की प्रकृति और गम्भीरता ।
- जहाँ आवेदक द्वारा उसे इस प्रकार गिरफ्तार कराकर क्षति पहुंचाने या अपमान करने के उद्देश्य से अभियोग लगाए जाने की सम्भावना है ।
- न्याय से आवेदक के भागने की सम्भावना।
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