बवासीर के कारण लक्षण बचाव और उपचार के बारे में जानिए
बवासीर के कारण लक्षण बचाव और उपचार के बारे में जानिए - Know about symptoms prevention and treatment of Piles |
Piles क्या है और इसके लक्षण
बवासीर
में कब्ज के कारण रक्त की नलियां बाहर आ जाती है तथा शौच के दौरान इन नालियों के से रक्त की कुछ बूंदे निकलती
है। कब्ज के लगातार
रहने पर यह समस्या
बढ़ती जाती है इसके अलावा बवासीर
में मल से और गुदाद्वार के आसपास नसों में सूजन आ जाती हैं जिनके
कारण उस हिस्से में खारिश, तेज दर्द और रक्त स्राव
होने लगता है।
बवासीर (Piles) की चार अवस्थाएं होती हैं
बवासीर
की चार अवस्थाएं होती हैं पहली अवस्था में दर्द रहित रक्त स्राव होता है।
दूसरी
अवस्था में दर्द रहित रक्तस्राव के साथ-साथ शौच के समय मांस बाहर आ जाता है। और सोच के बाद अंदर चला जाता है।
जबकि तीसरी और चौथी अवस्था
में मांस बाहर ही रहता है बवासीर आंतरिक
या बाहर दोनों हो सकते हैं। लेकिन कुछ रोगियों में दोनों एक साथ भी हो सकती हैं।
बवासीर
के अधिक बढ़ने पर भगन्दर हो जाता है जिसमें गुदा मार्ग और त्वचा के बीच एक सुरंग जैसी संरचना बन जाती है जिससे गुदा के पास एक असामान्य फोड़ा बन जाता है इसे फिशर या फिस्टुला कहा जाता है। फिशर में गुदा के किनारे के म्यूकोसा कट जाते हैं जिससे मरीज को काफी दर्द के साथ रक्त स्राव होता है।
बवासीर (Piles) से बचाव
बवासीर
से बचने के लिए फास्ट फूड तले हुए भोजन देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने तथा व्यायाम नहीं करने की प्रवृति से दूर रहना चाहिए। कब्ज से बचने के उपाय करने चाहिए
इसके लिए हलके आहार लें |
बवासीर(Piles) के उपचार
बवासीर के 80% मरीजों
का इलाज बगैर ऑपरेशन
सामान्य तरीकों
से ही किया जाता है। बवासीर
की शुरुआती अवस्था में कब्ज से छुटकारा दिलाने वाली और मल को मुलायम बनाने
वाली दवाइयां दी जाती हैं। कई बार रहन-सहन एवं खानपान
में परिवर्तन करने ज्यादा पानी पीने समय पर खाना खाने ज्यादा
मात्रा में हरी सब्जियां और रोटी खाने तथा समय पर सोने जागने से ही आराम मिल जाता है।
बवासीर
के अधिक गंभीर हो जाने पर शल्य चिकित्सा की जरूरत पड़ती
है। आजकल बवासीर एवं भगन्दर का इलाज लेजर किरणों एवं रेडियो थेरेपी
से भी होने लगा है। इसके अलावा इंजेक्शन स्क्लेरोथेरेपी क्रायोथेरेपी रबर बैंड लिगेशन
इंसाइड या
रेडियो फ्रीक्वेंसी कोई भी रोशन एवं एनल स्ट्रेस जैसे कंपसभी उपलब्ध
है। जिनकी
अपनी सीमाएं
एवं फायदे
हैं। बवासीर
की आरंभिक
अवस्था में इंजेक्शन स्प्ले
थेरेपी जैसी विधियां फायदेमंद हो सकती हैं।
Piles क्या है और इसके लक्षण
बवासीर
में कब्ज के कारण रक्त की नलियां बाहर आ जाती है तथा शौच के दौरान इन नालियों के से रक्त की कुछ बूंदे निकलती
है। कब्ज के लगातार
रहने पर यह समस्या
बढ़ती जाती है इसके अलावा बवासीर
में मल से और गुदाद्वार के आसपास नसों में सूजन आ जाती हैं जिनके
कारण उस हिस्से में खारिश, तेज दर्द और रक्त स्राव
होने लगता है।
बवासीर (Piles) की चार अवस्थाएं होती हैं
बवासीर
की चार अवस्थाएं होती हैं पहली अवस्था में दर्द रहित रक्त स्राव होता है।
दूसरी
अवस्था में दर्द रहित रक्तस्राव के साथ-साथ शौच के समय मांस बाहर आ जाता है। और सोच के बाद अंदर चला जाता है।
जबकि तीसरी और चौथी अवस्था
में मांस बाहर ही रहता है बवासीर आंतरिक
या बाहर दोनों हो सकते हैं। लेकिन कुछ रोगियों में दोनों एक साथ भी हो सकती हैं।
बवासीर
के अधिक बढ़ने पर भगन्दर हो जाता है जिसमें गुदा मार्ग और त्वचा के बीच एक सुरंग जैसी संरचना बन जाती है जिससे गुदा के पास एक असामान्य फोड़ा बन जाता है इसे फिशर या फिस्टुला कहा जाता है। फिशर में गुदा के किनारे के म्यूकोसा कट जाते हैं जिससे मरीज को काफी दर्द के साथ रक्त स्राव होता है।
बवासीर (Piles) से बचाव
बवासीर
से बचने के लिए फास्ट फूड तले हुए भोजन देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने तथा व्यायाम नहीं करने की प्रवृति से दूर रहना चाहिए। कब्ज से बचने के उपाय करने चाहिए
इसके लिए हलके आहार लें |
बवासीर(Piles) के उपचार
बवासीर के 80% मरीजों
का इलाज बगैर ऑपरेशन
सामान्य तरीकों
से ही किया जाता है। बवासीर
की शुरुआती अवस्था में कब्ज से छुटकारा दिलाने वाली और मल को मुलायम बनाने
वाली दवाइयां दी जाती हैं। कई बार रहन-सहन एवं खानपान
में परिवर्तन करने ज्यादा पानी पीने समय पर खाना खाने ज्यादा
मात्रा में हरी सब्जियां और रोटी खाने तथा समय पर सोने जागने से ही आराम मिल जाता है।
बवासीर
के अधिक गंभीर हो जाने पर शल्य चिकित्सा की जरूरत पड़ती
है। आजकल बवासीर एवं भगन्दर का इलाज लेजर किरणों एवं रेडियो थेरेपी
से भी होने लगा है। इसके अलावा इंजेक्शन स्क्लेरोथेरेपी क्रायोथेरेपी रबर बैंड लिगेशन
इंसाइड या
रेडियो फ्रीक्वेंसी कोई भी रोशन एवं एनल स्ट्रेस जैसे कंपसभी उपलब्ध
है। जिनकी
अपनी सीमाएं
एवं फायदे
हैं। बवासीर
की आरंभिक
अवस्था में इंजेक्शन स्प्ले
थेरेपी जैसी विधियां फायदेमंद हो सकती हैं।
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