लघु सौरमंडलीय पिंड क्या है - Small Solar System Bodies

लघु सौरमंडलीय पिंड क्या है - Small Solar System Bodies


लघु सौरमंडलीय पिंड क्या है - Small Solar System Bodies


अंतर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ (IAU) के अनुसार यह सौरमंडलीय पिण्डों की तीसरी श्रेणी है। इसके तहत क्षुद्रग्रह, धूमकेतु या पुच्छलतारा, उल्का, उपग्रह व अन्य छोटे खगोलीय पिण्डों को शामिल किया गया है।


क्षुद्रग्रह या ग्रहिकाएँ Asteroids

1). क्षुद्र ग्रह - मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे छोटे आकाशीय पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, उन्हें क्षुद्र ग्रह कहते हैं। खगोलशास्त्रियों के अनुसार क्षुद्र ग्रह का निर्माण बड़े ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप हुआ है। क्षुद्र ग्रह कभी कभी पृथ्वी से टकरा जाता है जिसके फलस्वरूप पृथ्वी की सतह पर विशाल गर्त बनता है। महाराष्ट्र में लोनार झील ऐसा ही एक गर्त है। फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है। 


धूमकेतु या पुच्छलतारा Comets


2) धूमकेतु- सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे - छोटे अरबों पिंड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते हैं। ये गैस एवं धूल के संग्रह होते हैं, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं। धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है क्योंकि सूर्य किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती हैं। हेली नामक धूमकेतु हमारे सौरमण्डल का महत्त्वपूर्ण धूमकेतु है जिस का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986 + 76 :- 2062 में दिखाई देगा।


उल्का Meteor


3. उल्का - उल्काएँ प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में दिखाई देते हैं जो आकाश में क्षणभर के लिए दमकती हैं और लुप्त हो जाती हैं। इन्हें टूटते हुए तारे भी कहते हैं। उल्काएँ क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा पीछे छोड़े गए धूल के कण होते हैं। 


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