लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक क्या है - लोकसभा ने 27 दिसम्बर 2011 को लोकपाल विधेयक पास किया था | आईये जानते है लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक में क्या क्या होता है |
लोकपाल और लोकायुक्त में कौन होता है |
लोकपाल में कौन होता है
लोकपाल एक अध्यक्ष होता है जो की भारत के मुख्य न्यायाधीश या फिर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या फिर कोई और महत्वपूर्ण व्यक्ति हो सकते है |
लोकपाल में अधिकतम आठ सदस्य हो सकते है | जिनमे से आधे न्यायिक पृष्ठभूमि के होने चाहिए | इसके अलावा आधे सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओ में से होना चाहिए |
लोकपाल में कौन नहीं हो सकता
- संसद सदस्य या किसी राज्य या केंद्र शाषित प्रदेश का सदस्य लोकपाल का सदस्य नहीं हो सकते |
- कोई ऐसा व्यक्ति जिसे किसी किस्म के नैतिक भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया हो |
- ऐसा कोई व्यक्ति जिसकी उम्र अध्यक्ष या सदस्य का पद ग्रहण करने तक 45 साल न हुई हो |
- किसी पंचायत या निगम का सदश्य भी लोकपाल का सदस्य नहीं बन सकता |
- ऐसाव्यक्ति जिसे राज्य या केंद्र सरकार की नौकरी से हटाया गया हो |
चयन समिति के सदस्य
- प्रधानमंत्री - अध्यक्ष
- लोकसभा के अध्यक्ष - सदस्य
- लोकसभा में विपक्ष के नेता - सदश्य
- मुख्या न्यायधीश या उनकी अनुशंषा पर नामित सुप्रीम कोर्ट के एक जज - सदस्य राष्टपति द्वारा नामित कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति - सदस्य अध्यक्ष या किसी सदस्य की नियुक्ति इसलिए अवैध नहीं मानी जा सकती क्योकि चयन समिति में कोई पद खाली नहीं था |
पदमुक्ति के बाद
- लोकपाल कार्यालय में नियुक्ति पर प्रतिबन्ध लग जाता है |
- इनकी अध्यक्ष या सदस्य के रूप में पुनर्नियुक्ति नहीं हो सकती |
- इन्हे कोई कूटनीतिक जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती और केंद्रशासित प्रदेश के प्राशनिक के रूप में नियुक्ति नहीं हो सकती | इसके अलावा ऐसी कोई भी जिम्मेदारी या नियुक्ति नहीं मिल सकती, जिसके लिए राष्ट्रपति को अपने हस्ताक्षर और मुहर से वारंट जाती करना पड़े |
- पद छोड़ने के पांच साल बाद तक ये राष्ट्रपति उप राष्ट्रपति , संसद , के किसी सदन, किसी राज्य विधानसभा या निगम या पंचायत के रूप में चुनाव नहीं लड़ सकते |
जाँच शखा का गठन
- अगर कोई जाँच कमिटी मौजूद नहीं है तो भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ शुरुआती जाँच के लिए लोकपाल एक जाँच शाखा का गठन कर सकता है , जिसका नेतत्व एक निदेशक करेगा |
- लोकपाल द्वारा गठित ऐसी अभियोजन शाखा के लिए केंद्र सरकार अपने मंत्रालय या विभाग से उतने अधिकारी और कर्मचारी उपलभ्ध कराएगी, जितनी प्राथमिक जाँच के लिए जरुरत होगी |
अभियोजन शाखा का गठन
- किसी सरकारी कर्मचारी पर शिकायत की पैरवी के लिए लोकपाल एक अभियोजन शाखा का गठन करेगा, जिसका नेतत्व एक निदेशक करेगा |
- लोकपाल द्वारा गठित ऐसी अभियोजन शाखा के लिए केंद्र सर्कार अपने मंत्रालय या विभाग से उतने अधिकारी और कर्मचारी उपलब्ध करवाएगी, जितनी प्राथमिक कांच के लिए जरुरत होगी |
लोकपाल के अधिकार क्षेत्र
27 दिसम्बर 2011 को पारित विधेयक के अनुसार लोकपाल के क्षेत्राधिकार में प्रधानमंत्री, मंत्री, संसद और सरकार के समूह ए, बी, सी, और डी के अधिकारी और कर्मचारी आते है |
लोकपाल के अधिकार
तलाशी और जब्ती करना -
- कुछ मामलो में लोकपाल के पास दीवानी अदालत के अधिकारी भी होंगे |
- लोकपाल के पास केंद्र या राज्य सर्कार के अधिकारीयो की सेवा का इस्तेमाल करने का अधिकार होगा |
- संपत्ति कको अस्थायी तोर पर नत्थी या अटैच करने का अद्धिकार होगा |
- नत्थी की गयी संपत्ति की पुष्टि का अधिकार होगा |
- विशेष परिस्थितियो में भ्रष्ट तरीके से कमाई गयी संपत्ति, आय, प्राप्तियों फायदों के जब्त करने का अधिकार होगा |
- शुरूआती जाँच के दौरान उपलब्ध रिकॉड नष्ट होने से बचने के लिए निर्देश देने का अधिकार होगा |
- अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने का अधिकार होगा |
- केंद्र सर्कार को भ्रष्टाचार के मामलो की सुनवाई के लिए उतनी विशेष अदालतों का गठन होगा, जितनी लोकपाल बताएगा |
- विशेष अदालतों को मामला सायर होने के एक साल के अंदर उसकी सुनवाई पूरी करना सुनिश्चित करना होगा |
- अगर एक साल के समय में यह सुनवाई पूरी नहीं होती तो विशेष अदालत इसके कारण दर्ज करेगी और सुनवाई तीन महीने में पूरी करनी होगी | यह अवधि तीन तीन महीने के हिसाब से बधाई जा सकती है |
लोकायुक्त क्या है
लोकायुक्त का एक अध्यक्ष होगा जो राज्य के हिघ्कोर्ट का मुख्या न्यायाधीश या फिर हाई कोर्ट का रिटायर जज या फिर कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति हो सकता है |
किसी व्यक्ति की लोकायुक्त में नियुक्ति के लिए शर्ते इस प्रकार है -
- न्यायिक सदस्य के नियुक्ति हो सकती है अगर व्यक्ति हाई कोर्ट का जज हो या फिर रह चूका हो |
- न्यायिक सदस्य के अलावा सदस्य बनने के लिए पूरी तरह ईमानदार, भ्रष्टाचार विरोधी, पुब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, सतर्कता, बीमा, बैंकिंग, बैंकिंग, कानून और प्रबंधन के मामलो में काम से काम 25 साल का विशेष ज्ञान और विशेषता हो |
सदस्य कौन नहीं हो सकता
- संसद सदस्य या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधान सभा का सदस्य ऐसा व्यक्ति जिसे किसी किस्म के नैतिक भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया हो |
- ऐसा ब्यक्ति जिसकी उम्र अध्यक्ष या सदस्य का पद ग्रहण करने तक 45 साल न हुई हो |
- किसी का सदस्य |
- ऐसा व्यक्ति जिसे राज्य या केंद्र सर्कार की नौकरी से बर्खास्त या हटाया गया हो और लोकायुक्त कार्यालय ने अपने पद के अलावा किसी लाभ या विश्वास के पद पर हो |
- ऐसा व्यक्ति जिसका सम्बन्ध किसी राजनितिक दाल से हो व्यापर करता हो या पेशेवर हो |
चयन समिति के सदस्य
- मुख्यमंत्री - अध्यक्ष
- विधानसभा अध्यक्ष - सदस्य
- विधानसभा में विपक्ष के नेता - सदस्य
- हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुशंषा पर नामित हाई कोर्ट के एक जज - सदस्य
- राज्यपाल द्वारा नामित कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति - सदस्य
अध्यक्ष या किसी सदस्य की नियुक्ति इसलिए अवैध नहीं होगी क्योकि चयन समिति में कोई पद रिक्त था |जाँच और अभयोजन शाखा का गठन
- अगर कोई जाँच कमिटी मौजूद नहीं है तो भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ शुरुआती जाँच के लिए लोकपाल एक शाखा का गठन कर सकता है | जिसका नेतत्व एक निदेशक द्वारा किया जायेगा |
- एक जांच निदेशक और एक अभियोजन निदेशक होंगे जो राज्य सरकार में अतिरिक्त सचिव से छोटे पद पर नहीं होंगे उनका चयन अध्यक्ष राज्य Sarkar द्वारा सुझाया गए नमो में से करेंगे |
- लोकपाल द्वारा गठित ऐसी जाँच शाखा के लिए केंद्र सरकार अनपे मंत्रालय या विभाग से उतने अधिकारी कर्मचारी उपलभ्ध करवाएगी जोतनी प्रारंभिक जाँच के लिए लोकपाल को आवश्यकता होगी |
- अभियोन शाखा के निदेशक लोकायुक्त की शिकायत पर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा लड़ेगा |
Read Similar Post:-
- लीगल नोटिस क्या है इसे कैसे बनाना चाहिये और इसके क्या फायदे होते है
- किसी अचल संपत्ति को किसे और कैसे दान किया जा सकता है
- चेक बाउंस होने पर क्या अदालती कार्रवाई की जा सकती है
- भारत के 5 सबसे महँगे और प्रसिध्द वक़ीलो के बारे मे जानिये
- एस्मा कानून -क्या है कैसे लागू होता है || एम्सा कानून की पूरी जानकारी
लोकायुक्त के क्षेत्राधिकार
- लोकायुक्त भ्रष्टाचार के आरोपी लगने Par किसी भी मामले की जनक कर सकता है या करवा सकता है |
- अगर शिकायत या मामला भष्टाचार से जुड़ा हुआ हो तो लोकायुक्त निम्न मामलो में जाँच कर सकता है
- ऐसा मामला जिसमे वर्तमान मुख्यमंत्री हो और पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हो |
- ऐसा मामला जिसमे राज्य सरकार का वर्तमान या पूर्व मंत्री शआमिल हो |
- ऐसा मामला जिसमे राज्य विधान सभा का कोई सदस्य शामिल हो |
- ऐसा मामला जिसमे राज्य सरकार के अधिकारी या कर्मचारी भी शामिल हो |
कोई ऐसा व्यक्ति शामिल हो जो ऐसे किसी भी सोसायटी एसोसिएशन का निदेशक प्रबंधक सचिव या कोई और अधिकारी हो जो पूर्ण या आंशिक रूप से राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित हो या अनुदान प्राप्त हो , और जिसकी वार्षिक आय सरकार द्वारा तय की गयी सीमा से अधिक हो |
ऐसा व्यक्ति शामिल हो जो ऐसी किसी भी सोसायटी एसोसिसातिओं का निदेशक, प्रबंधक, सचिव, या कोई और अधिकारी हो, जिसे जनता से डोनेशन मिलता हो और जिसकी वार्षिक आय राज्य सरकार द्वारा तय की गयी सीमा से अधिक हो या विदेश से प्राप्त होने वाली धनराशि विदेशी चंदा कानून के तहत 10 लाख रूपये से अधिक हो या केंद्र सरकार द्वारा तय की गयी अधिक हो |
लोकायुक्त के अधिकार
- लोकायुक्त के पास किसी मामले ने जाँच एजेंसी के निरीक्षक करने और उसे निर्देश देने का अधिकार है |
- अगर लोकायुक्त को लगता है की कोई दस्तावेज काम का हो सकता है या किसी जाँच से सम्बंधित हो सकता है तो वह किसी भी जाँच एजेंसी की आदेश दे सकता है ki वह उस स्थान की तलाशी ले और उस दस्तावेज को जब्त कर ले
0 Comments